सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -22
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -227
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन , व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
लैटिन नाम -Bombax ceiba , Salmalia malbarica
संस्कृत -शाल्मली
अन्य नाम – सेमल , सिमुळ
पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई – 20 से 50 मीटर तक
तना गोलाई सेंटीमीटर – 100 तक
पत्तियां आकार – गुच्छा हथेली आकार –
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm- 13 -15 ल x 7 -11 चौ
फूल रंग , आकार , — कप ाकारी
फल रंग आकार – लाल चचकार
गुठली बीज रंग – गोल काले
बीज आकार – गोल
समुद्र तल से भूमि उंचाई – मीटर , तकरीबन 1400 मीटर तक सभी जगह , गर्म जलवायु पसंदी वृक्ष
मिट्टी प्रकार – दुम्मट , बलुई भी
नमता , धूप , इत्यादि – तापमान – खुला , धुपेली , क्षीण छाया प्रेमी स्थान ,
आर्थिक उपयोग
उपयोगी लकड़ी
चारा ,
छाल रेशे
सेल्युलाइड
बक्से
माचिस तीली
प्लाईवुड
गोंद
बीजों से भोज्य व औद्योगिक तेल
सब्जी
बहुउपयोगी
औषधि उपयोग
औषधि में सेमल पादप अंगों की उपयोगिता
फूल
छाल
कांटे
बीज
गोंद
डण्ठल
जड़
रोग -औषधि
फोड़े , फुंसी , पिम्पल
रक्तस्राव रोकथाम
कफ व गले की खरास
बजार में उपलब्ध औषधि नाम
दस्त व ल्यूकोरहोइया
कई अन्य औषधियों में अवयव
जलवायु आवश्यकता
भूमि प्रकार – दुम्मट , रगड़ों, गढ़नों , गदन किनारे अधिक में भी , धुपेली , दलदल नापसंद किन्तु कई जलवायु हेतु सहनशील , pH -5 . 5 -6 5
औसत तापमान 28 -42 अंश c ,
वर्षा – 750 -4000 mm , सहनशीलता 500 -5000 mm
फूल – मार्च अप्रैल
फल तोड़ने का समय – मई जून
बीज बोने हेतु भंडारी करण समय- नए बीज उपयुक्त
बीज बोन का समय – मानसून
नर्सरी भूमि प्रकार – दुम्मट
बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई – 6 cm
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm – 10
गाँठ /कलम के मध्य अंतर्
अंकुर आने का अंतराल – 10 -15 दिन
रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय – अंकुरण के एक वर्ष पश्चात
रोपण कली की लम्बाई – एक वर्ष बाद
रोपण हेतु गहराई आवश्यकता – 5 x 5 x 5 फिट
गड्ढों में खाद आवश्यक है – हाँ
गड्ढों में अंतर – 5 मीटर
खाद आवश्यकता – शुरुवाती
सिंचाई आवश्यकता – प्रारम्भिक
वृक्ष रोपण गड्ढों के पास पानी हेतु गड्ढों की आवश्यकता पड़ती है -हाँ
वयस्कता समय – 3 -5 वर्ष
अंकुरण प्रतिशत – 80 से अधिक , बीजों को 12 घंटों तक भिगोये जायँ
क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है – चूँकि अंकुरण प्रतिशत व वृक्ष बबने का प्रतिशत अधिक है तो बीजों को 12 घंटों तक भिगोकर मानसून में सीधे वन में बिखेरना भी सही विधि है , उन स्थानों में बीज डाले जांय जहां पशु कम पंहुच सकें पाख पख्यड़
कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय आवश्यक है
आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर व अदूरदर्शिता भगाए जायं !