रीठा उगाना / वनीकरण
Soapnut Forestation in Uttarakhand
सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण – 12
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति ) 114
– उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 217
– लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
– लैटिन नाम -Sapindus mukorossi
कुम्भ बीज , रिष्टिक
पादप वर्णन
रीठा कभी बहुतअय्र में पाया जाता था अब आंतरिक पर्यटन हेतु लोग कहते हैं औ वहां आठ दस मील दूर रीठा पेड़ है।
रीठा 12 -20 मीटर ऊँचा व 70 वर्षीय रीठा तने की गोलाई 3 मीटर तक जाती है , शीत ऋतू में पत्ते झड़ जाते हैं। पीले फूल व काले भूरे फल। फलों के अंदर कठोर काले बीज हैं। काले बीज कभी गुच्छी खेलने के व बच्चों हेतु कंगन बनाने के काम आते थे।
हिमालय में लघु व मध्यम पहाड़ियों में 4000 फ़ीट की ऊंचाई में पाए जाते हैं।
औषधि उपयोग –
विष रोधक औषधियों में
आयुर्वेद में कफ रोधक , कोलेस्ट्रॉल कम करने की औषधियों , रक्तचाप समन्वयकरण औषधियों में प्रयोग होता है। त्वचा की गंदगी साफ़ हेतु औषधि ( फेस वाश ) में उपयोग। सरदर्द व अधकपाळी दूर करने की औषधियों में भी उपयोग होता है
रीठा तेल कई औषधियों व उद्यम में उपयोग।
गर्भपात औषधि हेतु भी रीठा प्रयोग होता है।
घाव, फोड़े धोने आदि में प्रयोग
कपड़े धोने व शैम्पू में प्रयोग
जलवायु आवश्यकता
– धूप , अच्छे बारिश , आम पहाड़ी जलवायु
भूमि
बलुई , दुम्मट , रेतीली जमीन रगड़ किनारे में भी उग आते हैं
फल तोड़ने का समय -अक्टूबर से जनवरी
बीज बोन का समय – बीजों को सूखे में ही भण्डारकृत किया जाता है। फंगस लगने का खतरा हर समय होता है।
बीज बोन हेतु ग्रीष्म ऋतू सही समय
रीठे की जड़ें लम्बी होती है अतः बलुई मिट्टी में गड्ढे इस प्रकार हों कि जड़ों को पनपने का अवसर मिल सके।
बीजों को 24 घंटे मंतते वार्म पानी में रखा जाता है जिससे छिलके उत्तर सकें किन्तु ध्यान रहे कि गरम जल से बीज न मरें । वैक्यूम फ्लास्क में रीठे के बीजों को मंतते जल में रखा जाता है या गर्म राख से पानी को मंतता रखा जाता है। अथवा सैंडपेपर से बीजों को खुरचकर तब पानी में भिगोया जाता। है
भिगोये बीजों को 2. 5 सेंटीमीटर गहरा बोया जाता है। बीजों को छाया में ही बोया जाय व बोन से पहले खाद नहीं डालनी चाहिए , जब तक मिट्टी सूखे पानी नहीं देते हैं , खाद व पानी , नमि फंगस दफंदी को डालते हैं
अंकुरण समय
एक से तीन महीने में अंकुरण आता है। बीज और फूलते हैं व उन पर सफेद बूरा आ जाता है अतः घबराने की आवश्यकता नहीं।
जब अंकुर ठीक से आ जाएँ तो पौधों को दूसरी जगह रोपा जाता है जहां जल व धूप खूब हों। ध्यान देने योग्य पहलु यह है कि अंकुरण से लेकर रोपाई तक इसकी लम्बी जड़ों को बचाना।
खाद आवश्यकता – शुरुवात रोपाई के पश्चात गोबर कम्पोस्ट आवश्यक
धूप – पेड़ को धूप चाहिए
सिंचाई आवश्यकता – जल प्रेमी
वयस्कता समय- नौ दस साल में फूल , फल देने लगता है।