औषधि पादप वनीकरण -7
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -212
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
लैटिन नाम Xanthoxylum armetum
पादप वर्णन – टिमुर एक 6 मीटर ऊंचाई वाली , कंटीली झाडी है जिसके फल लाल होते हैं। टिमुर पहले उत्तराखंड में एक आवश्यक पादप था और अब भोटिया क्षेत्रों को छोड़ समाप्ति के करीब है। टिमुर गर्म घाटियों में समुद्र तल से 1000 -2100 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्र में उग जाता है। टिमुर उप उष्ण कटबंधीय जंगलों में उगता है या खेतों के किनारे या खेतों में उगाया जाता है। कुमाऊं के टिमुर गढ़वाल के मुकाबले अधिक तीखे होते हैं
औषधि उपयोग –
दंत ओषधि , एंटी सेप्टिक , डाइबिटीज निरोधी , पेट पीड़ा नाशक , टॉनिक व कृमि नाश हेतु दसियों औषधि में टिमुर के तना , छाल , फूल व बीजों का प्रयोग होता है
भोटिया क्षेत्र में सूप बनाने , मसाले व चटनी हेतु उपयोग होता है। बीज मसालों में भी प्रयोग होता है
दांतुन व धार्मिक उपयोग मुख्य है
जलवायु आवश्यकता – उप उष्ण कटबंधीय जलवायु , मानसून आवश्यक है
भूमि
दुमट मिटटी या गोरक्ष , भारी मिटटी में उग आता है।
फल तोड़ने का समय – बीजों को भोटिया क्षेत्रों में अक्टूबर में एकत्रित किया जाता है। नेपाल की घाटियों में पहले हो जाता है
बीज बोन का समय – टिमुर सीधे बीज बोन , कलियों व रोपण से उगाया जाता हैं , नरसरी या सीधे बीजों को जंगल या खेतों में भी बोया जा सकता है।
टिमुर बीज मानसून में जुलाई अगस्त इ बोये जाते हैं , नरसरी में एक हेक्टेयर हेतु 3 किलो बीज काफी होते हैं किन्तु सीधे बीज बोन हेतु 30 किलो बीजों की आवश्यकता होती है। अंकुर 20 दिन के पश्चात ही उगते हैं।
रोपण समय –
तना कलियों को से जुलाई अगस्त में रोपना ठीक है।
बीजों से जब अंकुर 30 सेंटी मीटर ऊँचे हो जाय तो उन्हें ट्रांसप्लांट किया जा सकता है
खाद –
खेतों व नरसरी में गोबर खाद सबसे उत्तम खाद होती है।
सिंचाई
जब तक पौधे डमडमे न हो जायं सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। चूँकि उत्तराखंड में विशेषतया भोटिया क्षेत्र में बारिश , बर्फबारी होती है तो टिमुर हेतु जल मिल जाता है।
बीमारी
आमतौर पर टिमुर पर बीमारी नहीं लगती है
वयस्कता
टिमुर में फूल पांच साल में आने लगते हैं व सही वयस्कता सात साल में आती है
तने को बेचने हेतु फूल आने से पहले ही काटा जाता है। जनवरी से पहले।
उपज
एक हेक्टेयर में 6 क्विंटल सूखे बीज मिल जाते हैं
फल तोड़ने में सावधानी – फलों को तोड़ते समय सावधानी वर्तनी पड़ती है। लौंफ्याते समय घाव आदि होने से टिमुर में बीज बनने कुछ सालों तक बंद हो जाते हैं