281 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
शक्कु जब बि ड्राइवर क पैथरा क सीट म एक बुडड़ी तै दिखदी तो वींक पुटुकुंद च्याळ पड़ जावन। बुडड़ी अगल बगल वळ मनिख तो शांत सा दिखेणा छा किंतु बुडड़ी ! शक्कु तैं लगणु छौ बुडड़ी शक्कु तैं पछ्याणनो प्रयत्न करणी च। वींन महेशा म ब्वाल। महेशा न बुडड़ी जिना झळका द्याख अर शक्कु कुण ब्वाल भय खाणै क्वी बात नी। महेशा तैं उल्टां बुडड़ी क अगल -बगल म बैठ्यां मनिख जि भयभीत लगणा छा। शक्कु अति चिंतित तो पैलि इ छे बुडड़ी घुरण से तैक जीव सुखण मिसे गे।
दुगड्ड आण से पैल बस रुक अर द्वी पुलिस वळ बस म चढ़िन। शक्कु न द्याख कि महेश अर बुडड़ी द्वी और बैठ्यां मनिखों क मुख क रक्त लुप्त ह्वे गे अर मुख सफेद ह्वे गे। महेशा न मुख तौळ कर दे।
एक पुलिस वळ सरा बस क यात्रियों तै एक एक कौरि छौ चेक दिखणु। पुलिस वळन महेशा कुण इंगित कौरि ब्वाल , “मुख दिखा “
अर जनि महेशा न मुख दिखाई कि पुलिस वळ चिल्लाई , ” सर महमूद मिल गे। क्या नाम है तेरा ?”
महेशा क उत्तर छौ , “महेशा :”
“महेशा या महमूद ? दो दो शादी कर उधम सिंह नगर में बिठाई हैं। तीसरी को भगा ले जा रहा है ? ये लड़की तू महमूद के साथ है। क्या च नाम ?” पुलिस वळ न ब्वाल।
शक्कु क तो दुनिया ही पलट गे। वा तो महेशा दगड़ भगणी छे किंतु यू तो महमूद निकळ। पुलिस वळ न महेश तैं अड्याइ अर दुसर पुलिस वळ ड्राइवरा पैथर क सीट म बुडड़ी तैं दिखणु छौ। बुडड़ी घुरणी छे किंतु बुडड़ी क आंख्युं डिबळी हिलणी -डुलणी नि छे। पुलिस वळ न द्वी मनिखों तै अलग हूणो ब्वाल तो बुडड़ी गड़म लुढ़क गे।
पुलिस वळ न ड्राइवर तै ब्वाल , ” मर्डर केस लगणु च। बस दुगड्ड म पुलिस चौकी म रोक “
दुयुं मदे एकान ब्वाल , ” केक मर्डर केस हमम प्रमाण पत्र च। “