273 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
नौनी – पर मां त्वे पता च मी बि वूं तैं पसंद करदु अर तू बि। फिर अब गजबज किलै ?
ब्वे – हां पर उमर ….
नौनी – उमर को ले क्या च। भौत बिंडी अंतर नी च। अर अब अंतर् की छवीं किलै ?
ब्वे – पर ….
नौनी – क्वी पर पुर ना. ठीक च रंग म ग्वारो नी सांवला छन। पर दिखेण म तो आकर्षक छन कि ना ? बोल आकर्षक छन कि ना ?
ब्वे – हां वो तो छ। किन्तु जाति
नौनी – हे मां किक जाति पाति। इख आज धर्मी विधर्मी क ब्यौ हूणा छन अर तू आज बि। हमर गोत्र म जातिक छुट जाति च तो क्या ह्वे ? जाति हमन चटण च। इंजीनियर छन दगड़म एमबीए बि। एक बंगला ना द्वी बंगला छन। परमानेंट सरकारी आजीविका। बैंक म बि , म्युचवल फंड म जीवन बीमा बि। भविष्य की चिंता नी कि कख रौण , क्या खाण क्या लगाण।
ब्वे – ह्यां पर कुटुंब का लोक , गांवक लोग क्या ब्वालल ?
नौनी – क्या ब्वालल ? ब्यौ नी बि हो तो बि बुलण वळों को गिच्च पकड़ सकद।
ब्वे – अर ऊना साइड क परिवार वळो राय ?
नौनी – सब परिवार वळ ब्यौ की बात से ही उत्साहित छन , मेरी रघुबीर अंकल क नौनु अर नौनी मिसेज राजपूत से पूरी बात ह्वे गे। सब उद्यत छन।
ब्वे – अपर चचा तै बि पूछ ?
नौनी – हां चचा जी बि प्रसन्न छन कि तू बि अकेली छे अर रघुबीर अंकल बि अकेला। दुयुंक ब्यौ ह्वे जाओ तो भौत ही बढ़िया च।
ब्वे – अर रघुबीर क्या बुलणा छन।
नौनी – वो तो स्याम दैं घर आणा छन कि कै दिन कोर्ट म ब्यौ करे जाओ।
ब्वे – ठीक च। जा फूल ल या। रघुबीर को आण से पैल त्यार बूबा जीक फोटो म फूल चढ़ाण आवश्यक च।
नौनी – दैट्स लाइक अ गुड गर्ल।
नौनी (मोबाइल पर ) – अंकल ! ममी इज रेडी आप स्याम घर ऐ जाओ। हां हां म्यार हजबैंड अर ससुर जी बि इख डाला आपकी वेट करला।