(वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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भौत समौ पैल्याकी छ्वीं छन जब एक ज्वाड़ा गांव से दूर एक उड्यार म रौंद छा। प्रतिदिन , पति थैंक सुंग प्रातः उठि गाँव जांद छौ। भीक मंगण म थैक गुरुओं गुरु छौ तो भीख म भौत सा भोजन अर पैसा मिल जांद छा। वो अपर उड़्यार , भीक , एक टुट्यूं माटौ भांड से संतुष्ट छा।
एक दिन थैंक सुंग न सट्युं खेत म द्वी भैंसों तै लड़द द्याख , वो किराई , ” दुर्भाग्य ” ” आंधी अर बाढ़ “. घर ऐक वैन वो ब्वाल जु द्याख।
वैन अपर घरवळि कुण ब्वाल कि उड़्यारक वस्तु संभाळ अर चेतायी , ” हम धनी छान जब तक हमम चौंळ बिचणा कुण छन। “
वी व्हे। बाढ़ अर आंधी न क्षेत्र क खेती नष्ट कर दे। लोगुं अन्न बि धान बि बौग गे, परिवार भूक मरण लग गेन । द्वी झणों न ये अवसर से लाभ उठायी अर चौंळ बिंडी मूल्य पर ब्याच व रुपया बिंडी प्रतिशत पर ब्याज पर दे।
थैंक न रुपयों ढेर देख अर ब्वाल , ” ये मेरी ब्वे इथगा रुपया ! अब हम तैं इथगा घृणित स्थान म नि रौण चयेंद। “
इन बोलिक तौंन अपर गंधयुक्त वस्त्र व हौर वस्तु जळआई अर अपर एकि माटौ भांड फोड़ दे।
अब भिखारी गाँव को सबसे बड़ो धनी छौ जु महल म रौंद छौ अर जैम भौत सा सेवक, बगीचा व पालतू पशु छा।
एक दिन रानी क भै लार्ड विरोंग थैक ससुंग क धन दिखणो इच्छा से थैक सुंग क घर आयी।
” म्यार घर शुद्ध च , क्वी बि मलीनता नी च। ” अपर बड़पन्न दिखाणो बान थैंक संग न ब्वाल ,” मीम पचास सेवक छन जो रेशम क झुल्ला पैरदन। “
” अच्छा ! ” लार्ड विरोंग न ब्वाल , ” म्यार इख तो रेशम म सि ल्यां चांदी क पर्दा छन। ” थैक संग तै बुर लग। विरोंग न ब्वाल ,” मीम बड़ा बड़ा हाथी छन” तब पुनः विरोंग बोल , ” म्यार द्वी मुख्या हिरण दिखणो चल। “
लार्ड विरोंग ट्रस्ट हूणु छौ कि थैक सुंग क पुरण दगड्या न वैक कंदूड़म ब्वाल। लार्ड विरोंग न उत्तेजित ह्वेक ब्वाल , ” इन म निर्णय नि हूण। लोगों तै बुलान्दवा जो जीतल हरण वळ क सम्पति जितण वळाकि।
थैक सुंग तै भरोसा छौ कि वैन इ जितण। वैन हामी भर दे।
लार्ड विरोंग न पूछ , ” थैक ! तीम फुट्युं माटक भांड बि च ?”
थैक संग क्या उत्तर दींदो। वैन तो अहम म माटक भांड फोड़ दे छौ। वैक समिण वैक सब सम्पति लार्ड विरोंग ल्ही गे।
जीवन भर थैक सुंग पछतायी कि किलै वैन माट क भांड फ्वाड़ अति अहम म।
दुसर जनम म थैक सुंगन दक्षिण म छिपड़ रूप म जनम ले।