(वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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जापान , वियतनाम आदि क्षेत्रों म खरगोश तै भाग्य प्रतीक मने जांद तो प्रत्येक क्षेत्र म जेड खरगोश की अलग अलग कथा मिल्दन। वियतनाम म या जेड खरोश संबंधी दुसर संस्करण की कथा च –
भौत पुरण समौ की छ्वीं छन। एक दैं सब स्थलों म अन्न पवार नष्ट ह्वे गे। अकाळ पोड़ गे। सब स्थानों म अन्न की हीनता अर भुखमरी छे। भोजन पाणो हेतु पशु एक दुसर तैं क्रूरता से मरणा छा।
खरगोश अन्न बिन छा अर हौर पशुओं तुलना म हीन छा। तो खरगोश एक गुप्त स्थान म लुक गेन अर भुकि पोड़ गेन। तख शीट बि भौत छे। तबि
तौंन देखि कि निकट आग च। आग तपणो हेतु सि आग क निकट ऐन। एक खरगोश तै सूझी। वैन अपर जाति पर दुःख द्याख ार करुणाभूत अपर भाईयों कुण भोजन बणनो कुण तैंन आग म कुद्दी मार दे। तबि तना भगवान बुद्ध जाणा छा। तौन स्वतः खरगोश की करुणा व त्याग की प्रशंसा कार। भगवान बुद्ध न खरगोश क हड्डी ढांचा उठायी अर एक शुद्ध , उज्जवल खरगोश म परिवर्तित कौरि जून (चन्द्रमा म ल्ही गेन जां से यु खरगोश चन्द्रमा म चन्द्रमा क मित्र बौणी आनंद म जीवन यापन कार साको।