(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
एक समय एक शक्तिशाली राजा छौ जैन वियतनाम की रक्षा कार। वैम एक सुनहरा पंजा छौ। कछहुवा देव न यु पंजा राजा तैं बुर शक्तियों से बचाव हेतु भेंट दे छौ। जब राजा ये पंजा तै पैरद छौ तो अदृश्य ह्वे जांद छौ अर अपर आड़ा धनुष से शत्रु नाश कर दींदो छौ। ये पंजा क सहायता से स्यु राजा वियतनाम की रक्षा करदो छौ।
एक दिन चीन बिटेन ट्राइ यु डा क पुत्र ट्रोंग तुली राजमहल आयी अर राजा से राजकुमारी माई चाउ क हथ मांग तैन। द्वी राज्यों मध्य यां से शान्ति राली क विचार से राजा आन डुओंग वुओंग न अपर बेटी क ब्यौ ट्रोंग तुली दगड़ कौर दे।
ट्रोंग तुली तै जनि राजा म शक्तिशाली पंजा क भेद ज्ञात ह्वे तैन विश्वासघात को विचार कार। अपर पत्नी माई चाउ से वैन वो अस्त्र -शस्त्र चुरयाणो ब्वाल अर वा निर्भागणन सहमत ह्वे गे। वींन शस्त्र चोरी कर दे।
कुछ समय उपरान्त राजा आन डुओंग वुओंग तैं ज्ञान ह्वे गे कि पंजा अस्त्र चोरी ह्वे गे। राजा न सुनहरा कछुवा देव तैं पुकार अर देव राजा क समिण ऐ गे। कछुवा देव न पुनः सुनहरा पंजा राजा तैं दींद ब्वाल , ” तेरी बेटी न त्यार दगड़ विश्वासघात कार। तैं तैं मृत्यु दंड आवश्यक च ”
राजा न राजधर्म क पालन कार अर अपर बेटी मार दे।
ट्रोंग तुली अपर पत्नी क रक्त बूँद का पैथर चलदा चलदा ेज बॉण म आयी जखम वैकि पत्नी क धड़ बिन सिर पड्युं छौ। ट्रोंग तुली विनाश क मनोदशा म चल गे अर वैन आत्महत्या कौर दे।
या वीभत्स कथा च शक्ति की , घात की , विश्वासघात की अर विश्वास की।