तुम भी सुणा, मिन मी सुणी,
लोग बुन्ना समाज बदलीगे,
सुविधाओं कु दौर अयुं चा,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलीगे।
कुमौं बदली गढ़सार बदलीगे,
लोग बुन्ना पहाड़ बदलीगे,
सुविधाओं कु दौर अयुं चा,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलीगे।
कि विकास की गति बल,
ज्यादा हुयी चा,
दुगना हुईं चा शिक्षा कु स्तर,
छुट्टा बड़ा सब पैसा वला हुयां छन,
मेरू मुलुक चली विकास का पथ पर।
विकास कन हुणु-
पुगड़ी धोली की सड़क बणया छन,
अन्न धन कु आधार समिटगे,
छुट्टा बड़ा गाड़ गदनियां छा सुन्दर,
डाम बणीके सरी साज ही मिट गे,
हेरा भेरा डांडा कांठा नांगा व्हे गिनी,
डाली काटी-काटी श्रृंगार बदलीगे,
नेता बुना छान चुनाव रैली मा,
कि हमरू गढ़वाल कु विकास बौड़िगे,
सुविधाओं कु दौर अयुं चा,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलीगे।
हालात कन छिन-
रीता पुड़या छन कुड़ी पुगड़ी सब,
पदान जी बल देहरादून बसया छन,
अब कुकुर बिरालो की भी आर-सार नी,
ते पांडा उलकणा सिया छन,
जंे दैली केन ग्वाया लगै छा
तख आज मूसा बिजा हुयां छन
जम्न ले छौ जै घर मन्दिर मा
तैं धुरपलि मा दुबलू जम्या छन
परदेश की झूठी रौनक मा,
गढ़ जननी कु उपकार भूलिगे,
सुविधाओं कु दौर अयुं चा,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलिगे।
गढ़वाल की हालत-
बाघ बकरी ना मनखी बच्या छन,
देवतों की कुड़ी मा ढंुगी धरया छन,
बेडू, तिमलू, हिसरू, किनगौड़,
अर भमौरा सकरी पाकी पाकी सड़या छन,
जो डालियू से पछाण हमरी छै,
तों काफुले की डाली मा बांदर बैठ्या छन,
स्वाणी धरती की अनवार बदलिगे,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलिगे।
धरती माँ कु दुःख-
गढ़भूमि क्या बुन्नी च,
मां छौं तुमरी, जै मा पैदा हुयां तुम,
मेरी खुचली मा खेली की बड़ा हुयां तुम,
मैं आश नी छै मेरा लाटो
कि इन कु घड़ी भी आली,
मिथै इखुली विरान छोड़ी देशु भगणा तुम,
अभी भी वक्त चा मेरा लाटो, बौड़ी ऐ जावा,
मां छौ तुमरी मैं, माफ करी छ्योलू चम,
देर ना हो, अबेर ना हो,
कखी मेरी आंखा घुधलणी ना हो,
भोल मिन जु पछाण से मना केर याली,
तब ना बुल्या मेरी मां ही बदलीगे,
तब ना बुल्या मेरी मातृभूमि ही बदलीगे,
छुईं ना लगया, रूसया ना मेरा लाटों मेरी मां ही बदलीगे,
क्या कन लाटों सुविधाओं कु दौर अयुं चा,
लोग बुन्ना गढ़वाल बदलीगे।
द्वारा- संदीप नौडियाल