चबोड्या , चखन्योर्या , हँसोड्या – भीष्म कुकरेती
सम्पादक लोग बुलणा छा बल जो खिलबिल , वो हौंस, वो परिहास मेरो व्यंग्य म पचास वर्ष पैल छे व्वो अब नी बल। वास्तव म सम्पादक जी को बुलण च बल अब म्यार लेखों म हौंस कम ह्वे गे। अब सम्पादक तै क्या बोलुं कि म्यार लेखों क हौंस कख अंतर्धान ह्वे।
संभल म गोली चौल। इन नेताओं क समय हौंस बंद ह्वेलि ही जन जब संसद शुरू ह्वे तो लाल टुपलुआ मुल्ला अखिलेश अर बिजली चोर वर्क संसद भवन से भैर लग्यां छा सम्भल संभल। लोक सभा म बि मुल्ला अखिलेश बना छा , “संभल जळ गे , संभल जळ गे ., संभल म पत्थरबाजों पर पिलिस न गोळी चलाये दे। पुलिस वळ मर बि जांदा तो क्या ह्वे जांद किन्तु क्रांतिकारी पत्थर बाजों पर फूल बरसाणों स्थान पर गोळी किलै ?” अब इन नाटकबाजों देखि हौंस क्या झाड़ा तक बंद होणै अवसर ऐ जांद।
राज्य सभा म मौलवी रामगोपाल क मुखन क्रोध म थूक बगणु छौ , ” अमानवीय ! अमानवीय ! आंदोलनकारी शांत पत्थरबाजों पर पुलि स गोळी ?”
यादव वंशी चाचा भतीजों क रोदन से समस्त ब्रह्माण्ड का मुसलमान जग गेन कि अहिंसक , पत्थरबाजों , अहिंसक कार्टस्बाज जो पत्थर , बृंद क ग्वाळा लेक छत म छ्याइ अर मस्जिद भैर सड़क पर जै सिया राम जै सिया राम क नारा लगेन तो यूँ अहिंसक क्रांतिकारियों क रक्त म उबाळ ऐ गे। यु तर्क छौ मुल्ला यादव परिवार को व सांसद वर्क को।
मुस्लिम वोट बैंक को जब प्रश्न आवो ओवैसी क रक्त म बि उबाळ ऐ गे। नया मुस्लिम प्रेमी उद्धव ठाकरे न बि यूट्यूब पर वक्तव्य दे दे कि क्रांतिकारी , अहिंसक पत्थरबाजों पर योगी न जाण -बूझिक गोळी चलवाई।
जन कि हूंद च कॉंग्रेसी शाहिबजादा तो संविधान -अडानी क अजान दीण म व्यस्त छा। उत्तर प्रदेश क मुस्लिम जमीन कब खसक तौं तै भौत दिनों तक पत्ता इ नि चौल। वो तो भाजपा का नेता जब मुल्ला अखिलेश , मौलवी रामगोपाल यादव , मौलवी उद्धव ठाकरे की कटु आलोचना करण लगिन तब शाहिबजादा क परामर्श मंडल तै पता चल कि कॉंग्रेस तै बि अहिंसक पत्थरबाजों क साथ दीण चयेंद।
तो देर से बिजण वळ परामर्शदाताओं न शाहिबजादा व शहजादी तै बिजाळ कि मुल्ला अखिलेश अर नया न्य मौलवी उद्धव ठाकरे न मुस्लिलम पटायी येन। तो द्वी भाई बैण स्वांग करणो पिकनिक मनाणो संभल जिना चलण लग गेन। आधुनिक कलि अवतार योगी क सेना न तौं तै रुकणि छौ। यूँक बि नाटक कुछ क्षण चौल। पर कॉंग्रेसी प्रसन्न छन कि अब हिंसक पत्थरबाज , अहिंसक गोळा -बारूद बाज संभल का मुस्लिम कॉंग्रेस पर प्रसन्न होला
संसद अधिवेशन चलणु इ छा कि संभल म कुछ मंदिर ही नि मिलेन अपितु 1978 , १८४ हिन्दू क हत्त्या प्रकरण बि दुन्या क समिण आयी अर वस्तुस्थिति या बि पता चौल कि हिन्दुओं तैं संभल से जबरन भगाये गे व तख मंदिरों म पूजा बंद कराये गे। यी बि ज्ञान ह्वे कि जामा मस्जिद क्षेत्र संभल म बिजली चोरी इथगा हूणी छे कि मस्जिद से चोरी क बिजली बंट्याणि छे व संसद बि बिजली चोरी म शामिल च। (टीवी समाचरों पर आधारित )
इना संसद म सांसदों कव्वारौळी देखि म्यार इ ना प्रत्येक भारतीय भी व्यथित च कि संसद क्या यूँ सांसदों क बूबा क च कि यी जु चावन सि कौर ल्यावन ?
यी ही ना पता च कि सात आठ शहर जन कि गोंडा, बरेली, अलीगढ़ , बेरली म भौत सा मुहल्लों म हिन्दुओं क पलायन ह्वे अर मुस्लिम मुहल्लों म मंदिर ही अंतर्धान करे गेन। अब जागरूक हिन्दुओं कारण यी बंद मंदिर मिल गेन ना दिखेण शुरू ह्वे गेन।
अब इन परिस्थिति म व्यंग्य या लेख म हौंस कखन लाण ? जब कश्मीर म हिन्दू पलायन कारन अर यदि जु बि हिन्दू पलायन की बात कारो तो वै तेन झिड़की मिलदी। जब संभल , बरेली , गोंडा , अलीगढ़ म मुस्लिम मुहल्ला म हिन्दू प्लयन की बात संसद मुल्ला अखिलेश , मिंया रामगोपाल यादव से करे गे तो अब बुलणा छन बल छोडो हिन्दू मुस्लिम की बात मंहगाई पर बात कारो , रोजगार की बात कारो। तो फिर यूंन कुछ दिन पैल संभल म अहिंसक मुस्लिम पत्थरबाजों की छ्वीं संसद म किलै उठै।
इनम लेखों म हौंस , प्रहसन ऐ सकदो ? इन म तो क्रोध आलो ना कि हौंस।