अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
इन मने जांद बल वियतनामी रुस्वड़ म तीन लोक दिबता उपस्थित रौंदन।
यी तिनि वियतनामी रुस्वड़ क प्रबंधन करदन। एक लोक कथा म यूं तिनि पात्रों क कथा मिलदी।
या कथा ऊं कथा म मदे एक कथा च
एक ट्रॉंग काओ नाम को लकड़हारा छौ तेक पत्नी छे। बिचारो लकड़हारा भौत इ निर्धन छौ। निर्धनता न तै लकड़हारा न निराश ह्वेक शराब पीण शुरू कर दे अर दगड़ म बुरु ब्यवहार बि करण मिसे गेन। वैक ब्यवहार इथगा बुरु छौ कि तैन अपर कज्याण थी न्ही तैं पिटण शुरू कर दे। पति क नखुर अर असहय ब्यवहार से दुखी ह्वेक सया जर्जर झुपड़ी छोड़ि बौण जिना चल गे।
बौण म इना उना डबखण म वा भूक अर चोटों से समस्याग्रस्त ह्वे गे। भूक से समस्यायुक्त , लचकदि लचकदी वा एक अयेड़ीबाज (शिकारी) फाम लैंग क काठक कूड़ म गे। अयेड़ी बाज ( शिकारी दयावान व्यक्ति छौ। तैन तैं तै रौणो स्थान व भोजन दे। कुछ दिन उपरान्त दुयुं न इच्छा से ब्यौ कर दे। द्वी प्रसन्न छा।
एक दिन अयेड़ीबाज (शिकारी ) अयेड़ी खिलणो दूर जयुं छौ। वा इखुलि घरम छे। इथगा म एक भिकारी आयी अर द्वार झकोळि रौणौ स्थान मांग।
भिखारी कुण भोजन पकांद दैं वीं तैं अनुभव ह्वे कि यु उपरी मनिख वींक भूतपूर्व पति च। इथगा म वींक भूतपूर्व पति क ध्वनि आयी कि वु ऐ गे।
वीं तै भय ह्वे कि नयो पति पुरण पति क बात सूणी वीं तैं छोड़ नि द्या। सुख म बिघन नि हो को भय से वींन भूतपूर्व पति तै घास क थुपड़ पुटुक लुकै दे।
शिकारी पति आज एक बड़ो पशु मारी ल्है छौ तो प्रसन्न छौ। वाई शिकारिन शिकार घासक थुपड़ म धार अर शिकार भड्याणो नियत से आज लगै दे।
पूर्व पति चुप राई अर भड़ेक मोर गे। तैन पूर्व पति ट्रॉन्ग काओ क त्याग देखि थी न्ही न जळदो बुसड़ म छलांग मार दे। शिकारी अपर पत्नी बिन जीवन क संभवाना हि नि कौर सकुद छौ अर शिकारीन लैंग न बि आग म छलांग लगै दे अर तखि मोर गे।
वियतनाम म तीन रुस्वड़ क दिबतौं तैं बारों मैना क तेइसवां दिन समळे जांद अर तैदिन यूं मा वियतनामी लोक स्वादिष्ट , दिखेण म आकर्षक भोजन व मसाला चढ़ांदन।