(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
18 वां हंग राजा न अपर बेटी ब्यौ बान एक प्रतियोगिता उरयायी। प्रतियोगिता म द्वी प्रतियोगी इकजनि छा। एक छौ सोन तिन्ह पर्वत दिबता अर थोई तिन्ह जो जल दिबता छौ।
पाख पख्यड़ॉ , समोदर अर घनघोर आँधियों पर नियंत्रण करदा सोन तिन्ह अर थोई तिन्ह न शक्तिशाली द्वन्द कार अर अपर बिनाशकारी शक्तियों से पूरो देश म अधःपतन पसार दे । अंत म सोन तिन्ह की जय ह्वे। किन्तु थोई तिन्ह की इच्छा हार मनणै नि छे तो वैन देस म भयंकर आंधी , आपदा , प्रलय , ल्है गे। जैक चिन्ह अबि बि छन।
लोगुं भूमि अर फसल की रक्षा हेतु सोन तिन्ह न अपर शक्तिशाली हथों म तब तक उठायी रख जब तक हार थकीक थोई तिन्ह पैथर नि हठ गे। प्रतिवर्ष थोई तिन्ह प्रतिशोध लीणों भरसक प्रयत्न करणु राई किन्तु सोन तिन्ह न सदा हि थोई तिन्ह तै पैथर धकेल।
(यो मिथ वियतनाम म थोई तिन्ह समुद्री चक्रवात , आंधी आदि क प्रतिनिधित्व करद जबकि सोन तिन्ह वियनामियों द्वारा यूं आपदाओं से संघर्ष को प्रतिनिधित्व करद )