(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
राजसभा से देस निकाळा कु कुछ समय उपरान्त खुआत ऐनगुएन एक गैरी झील क छाल पर इना उना घुमणु छौ। बिचारो क मुख क रंगत धूमिल पड़ गे छे अर गात सीक जन हीन ह्वे गे छौ ।
तैबारी उना बिटेन एक बुड्या मछुवारा नाव से आयी , वैन खुआत ऐनगुएन यी पछ्याण अर रामारुमी उपरान्त पूछ, ” हैं ! तुम ताम लू राजसभा का मंत्री ही छा ना ? या क्या दशा बणायी महाशय ? क्या बात च ? किलै तुम तै देस निकाळा दिए गे ?”
खुआत ऐनगुएन क उत्तर छौ , ” कीचड़ से लथ पथ संसार म मी स्वच्छ छौ। सब सभासद दारु पकी टुंड छ केवल मी हि बिन पियां छौ। इलै मेरो देस निकाळा ह्वे “
मछुवारान ब्वाल , ” मंत्री जी ! चतुर व्यक्ति कबि बि हठी नि हूंद; वो तो परिस्थिति व मनिखों से सामंजस्य कौरि चलद । यदि जल कौज्याळ हो तो जल स्वच्छ करण हि योग्यता च। जु दगड़्या शराब पीणा ह्वावन तो थोड़ा सी शराब या फल रस पीण म क्वी बुराई नि हूंद। अपर विचार दुसर पर थोपो अर देस निकाळा डंड भुगतो म क्वी बुद्धिमता तो नी च. “
खुआत ऐनगुएन क उत्तर छौ , “मीन सूण च बल , ‘ जब तुमन बाळ अबि धोइ ह्वावन तो तबि टुपला नि पैरण ‘, यदि मेरो गात स्वच्छ हो तो कन मि कन कौरि अस्वच्छ लोगो क दगुड़ सहन कौर सकदु ? य अस्वच्छ पापी मित्रों से बढ़िया तो मि तुओंग क जल म छलांग लगै दयालु अर माछों भोजन बण जौलू। “
मछवारा नाव से अगनै बढ़ गे अर खुआत ऐनगुएन एक लोक गीत गाण लग गे –
चोंग को छाळो पाणी ,
तुओंग को छाळो पाणी
यदि पाणी कोज्याळ ह्वे जालु
तो मि केवल खुट धोलु।