250 से बिंडी खानी रचंदेर : भीष्म कुकरेती
एमबीए अर एच आर डी मैनेजर नातण न ब्वाल , ” मि वे से प्रेम करदो। पर ददि त्वे क्या पता युवा म प्रेम कन हूंद। तू ठैरी गंवड्या। “
नातणक सूचना छे या उलाहना छे क संशय म बुडड़ी नि पोड़ भौं भौं चित्र बुडड़ी क मस्तिष्क म आण शुरू ह्वेन।
पांच म छे वा अर वु आठम। आँख चार ह्वेन। द्वी न्याड़ -ध्वारक गां का छा। स्कुल एक।
एक दुसर बिन देखि रै नि सकद छा। छुटि क दिन या हौर दिन सि बिन कार्य क वींक गां ऐ जावो। वीं तै देखि चल जावो। वीं क जिकुड़ी पर बि छप छपी पोड़ जांद चौ।
बड़ ह्वेन धीरे धीरे सि गौचर म गोरम मिलण लग गेन अर जब वा अठारा वर्ष की छे तौंक प्रेम देह मिलन म परिवर्तित ह्वे गे।
वींकि ब्वे जाण गे कि वा गर्भवती च। लोहार क नौनु वो अर या कर्मकांडी ब्राह्मण की बेटी ! ब्यौ को तो क्वी सोच इ नि सकद छौ। बूबा तैं तै झांसी लायी। झांसी म वींक चचा राउंड छौ। गर्भपात कराये गे। वींक बुबा तैं गां स्थान पर दिल्ली वींक मामा म ल्हीग अर एक सप्ताह म ही तख वींक ब्यौ एक चपड़ासी दगड़ कराये गे। यांक उपरान्त वा मैत क गां नि गे कबि ।
अर अब नातण बुनि ददि तै क्या पता प्रेम क्या हूंद।