250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
मकरैणी दिन तीन स्कुल्या नौनी दिवप्रयाग म गंगा छाल पर वरदान मंगणा छा –
एक नौनी – ये गंगा जी ! मेरी ब्वे क स्वास्थ्य भला कर दे मि प्रति वर्ष तीम नयाणो औलु।
दुसर नौनी – हे गंगा जी ! म्यार बुबा जीक स्वास्थ्य भल कर दे मि प्रतिवर्ष तीम नयेणो औलु ।
तिसरी – ये गंगा जी ! मेरि ब्वे तैं बौड़ै दे मि तीम उनी ऐ जौल जन मेरी ब्वे ..परार .. .. ।
गंगा जी रूण मिसे गे अर घाट म बरखा हूण मिसे गे।