अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
–
वियतनाम क एक नगर म सबसे बड़ो चतुर धनी मनिख तू सन तु एक अनुभवी रुस्वळ छौ। तू सन तु कन्फ्यूसियस को शिष्य छौ।
एक दिन ‘तू सन तु’ को रुस्वळ अपर स्वामी कुण माछ पकाणो बान माछ लाणो बजार गे।
बाटम खड़ाखड़ी जुवारी छा। लालच म एक रुस्वळ न रुप्या रानी पट्टी पर लगाई अर माछौं कुण जु रुप्या छा सि सब खड़ाखड़ी जुवा म हार गे।
भय से रुस्वळ क पूठ तक कंपणा छा कि स्वामीन वै तै सेवा से निवृत कर दीण। रुस्वळ अपर स्वामी तै या कथा सुणायी।
” स्वामी ! मि मच्छी बजार ग्यों अर तख मीन एक दुकानिम बड़ी मांशिल, तगड़ो व आकर्षक माछ द्याख। जिज्ञासावस मीन तै स्वस्थ मांसिल माछ क मूल्य पूछ। म्यार तो आश्चर्य से आँख इ भैर ऐ गेन जब मीन दुकानदार न माछ क मूल्य बताई। इथगा हीन मूल्य छौ तै म्वाटो माछक। मि जु रुप्या हाट लीग छौ तथगा म स्यु बड़ो , स्वस्थ , मान्सिल माछ मुल्ये अर घर ओर आण लग ग्यों।
आंद दैं बाटम मीन चितायी कि माछक गलफड़ा ऐंठणा छन जन बुल्यां माछ मरणो हो। मि भयभीत ह्वे गौं। मीन बाट म एक बुड्या पूछ कि क्या ह्वे होलु. ? बुड्यान बोलि कि जल बिन मछली छटफटाणि च। बुड्यान झट से पाणि म डाळणो राय दे। मीन माछ नाळा म डाळ दे। तख भौत समय तक माछ तन्या क तनि राई। मीन पुनः माछ हथ पर राख अर दिखण लग ग्यों कि क्या ह्वे होलु। इथगा माँ माछ जोर से उछंड अर दूर नाळा म गिर व बौगी गे।
मि तै अपर मूर्खता पर भौत लज्जा आयी। पर लज्जा से माछ बौड़ी थुका आंदन।
रुस्वळ कथा सुणी तू सन तु न माछक चतुरता पर प्रसन्न ह्वेक ब्वाल , ” स्या सही छे , तेंक फळांग सही छे , सही छे। “
इथगा हूण पर तो रुस्वळन पुळ्याणी छौ तो रुस्वळ अपर दगड्योन म बुलणु छौ ,” लोक बुल्दन बल म्यार स्वामी नगर को सबसे बड़ो चतुर मनिख च। किन्तु मेरी कथा से मूर्ख बण गे “
तभी तो मेन्सियस दार्शनिक क बोल सही छन , ” एक प्रशंसनीय झूठ कन कन चतुर मनिख तैं मूर्ख बण ै दींदो।