अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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वियतनाम क एक गाँव म एक बिगरैल नौनो छौ तैक नाम छौ’ वांग ‘किन्तु स्यु जन्मांध छौ किन्तु वैक आँख सामान्य मनिख जन दिखेंद छा तो लोक तै तैं सामान्य मनिख हि समझ लींदा छा । वैक बि सामान्य अभिलाषा छे कि वैक बि ब्यौ हो , बच्चा होवन।
एक दिन वो एक युवती क ड्यार वींक ब्वे बूबा माँगन वींक हथ मंगणो गे। नौनी क ब्वे बाब अर परिवार वळ पुंगड़ जाणो त्यार छा। अपर कार्य म चतुरता दिखाणो बान वांग बि तौंक दगड़ पुंगड़ चल गे। वांग सब्युं क पैथरा पैथर पुंगड़ गे अर चतुरता से तौंक दगड़ दिन भर काम धंधा करणु राइ। झामट ह्वे तो सब तत्काल घौर जिना चल गेन। वांग न कुछ समय उपरान्त समज कि वु लोक चलण लग गेन वो बि उंक पैथर चलण लग़ गे। कुछ दूर वांग एक कुव्वा म पौड़ गे।
घौर ऐक जब तौंक दगड़ वांग नि बौड़ तो नौनी क ब्वे ‘बिन्ह’ न ब्वाल , ” मैं लगद हम तै दिखाणो बान वांग अबि बि पुंगड़ म कार्य करणु च धौं। नौनी लाइक भलो च। जाओ वै तैं घर लाओ। “
द्वी नौन्याळुं तै अनिच्छा म पुंगड जीना जाण पोड़। सि द्वी आपस म बरड़ बरड़ करदा करदा कुव्वा जिना ऐन। कुव्वा पुटुक वांग न तौंक ध्वनि सूण अर कुव्वा से भैर ऐक तौंक पैथर इ पैथर तौंक ड्यार ऐ गे।
डयारम , तै आदर से बिठाळे गे। कुछ समय उपरान्त ‘बिन्ह’ वांग कुण थाळी म भोजन लायी अर वै तै देक निकट म बैठ गे। इथगाम घौरक कुकर आइ अर सब खाणा चबट चबट कौरि खाण लग गे ,
बुडड़ी न ब्वाल , ” वांग ! तुम कुकुर तै किलै नि भगाणा छा ?”
” मि ये घौर क स्वामी अर वैक कुकुर समेत सब चीजों क आदर करदो तो कुकुर …. कन ?”, वांग क उत्तर छौ।
नौनी क ब्वे ‘विन्ह’ प्रसन्न ह्वे।
विन्ह न एक डंडा वांग क हथ म पकड़ाई अर ब्वाल , ” जब दुबर कुकुर ाल तो ये डंडा से भगै दे “
विन्हन द्याख कि वांग थाळी लेक ऊनि च। विन्हन समझ कि लड़का विनयी व लज्जा वळ च तो वांग तै उत्साह दीणो हेतु भितर किचन बिटेन चॉपस्टिक लेक आइ अर वांग क हथ पर पकड़ीं थाळी म धरण लग गे।
थाळी म ध्वनि सूणि वांग न समझ कि पुनः कुकुर ऐ गे तो वैन बिचारि बुडड़ी पर कुकुर समजिक जोर से डंडा की चोट मार दे. बुडड़ी फट से मूर्छित ह्वेक भीम पोड़ गे।
अब बताणो आवश्यकता नी कि वांग दगड़ क्या व्यवहार ह्वे ह्वाल।