अनुवाद 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
तख वियतनाम देस कु एक राजनायक छौ तैक नाम छौ ‘ली’। ली क ऊँचे भौत छुट छे। वैक ऊंचै सामन्य मनिख क छाती तक छे। ‘ली’ भौत चतुर मनिख छौ। एक दैं द्वी देशों मध्य एक बड़ी राजनैतिक समस्या समाधान हेतु ‘ली ‘ तैं चीन भिजे गे।
चीन की राज सभा म चीनौ राजा बैठयुं छौ। तबि ‘ली’ न सभा म प्रवेश कार।
चीनी राजाक मंत्री न परिचय म ब्वाल , महाराज ! वियतनामी राजदूत प्रवेश करणों आज्ञा देखी कृतार्थ करे जाय। “
राजा न प्रवेश को आज्ञा दे. ली न सभा म प्रवेश कार। ली न झुकिक प्रणाम कार।
चीनी राजा न बौना ‘ली’ तै देखि तो मुख बिटेन प्रश्न निकळ , हैं वियतनाम म इन बौना मनिख हूंदन ?”
‘ली’ न ये वक्तव्य तै अपमान नि समझ अपितु राजा क जिज्ञासा समझ अर बड़ो विनय म ‘ली’ न उत्तर दे। ” महाराजाओं क महाराज ! हमर देस म ऊंचा बि अर छूट ऊंचैक मनिख हूंदन अर हमर राज सभा म प्रत्येक ऊंचाई का राजनायक छन। हमर देस की प्रथा च कि यदि द्वी देस क मध्य समस्या बड़े हो तो ऊंचा कद का राजदूत भिजे जांदन। अर यदि समस्या छुट हो तो हीन ऊंचाई का राजदूत भिजे जांदन। “
उत्तर सुणि चीनी राजा पुळे गे कि वियतनाम बड़ी समस्या तै छुट मणन च। राजा न नरमी बरत अर वियतनाम तै भौत सि छूट देकि समस्या समाधान कार।
छुट मनिख की बड़ी जीत !