(वास्तव म यी प्रश्न सामान्य कवि को सामन्य ढंग से भेज छा किन्तु इन लगद सुनील जी म्यार इ तरां कविता सेपार ही छन )
■भीष्म कुकरेती : आप व्यंग्य क्षेत्र मा किलै आइन ?
®घंजीर : मेरी कलम गढवलि व्यंग्य घसकांण मा छपछपि पांद ! कब्यता जनि कुंगलि बाणि घंजीर्या कलम का बसै बात नीन !
■भीष्म कुकरेती- साहित्यिक जीवन परिचय , जन्म , स्थान समय आदि शिक्षा , प्रकाशन
®घंजीर : मासिक पत्रिका उतरजन टुडे देरादूण मा पिछला आठ बरसु बटिन छपेणा छन गडवलि घंजीर व्यंग्य ! वार्षिक पत्रिका चिठ्ठी पत्री मा बि व्यंग्यकार का रुप मा प्रकाशित हूणु छौं । यदाकदा अन्यत्र बि छपेणौ मौका बण जांद । जलम अस्थान चौंदकोट मलालस्यूं पौड़ी गडवाल।
■भीष्म कुकरेती: आपकी व्यंग्य पर कौं कौं चबोडयों प्रभाव च ?
®घंजीर : मेरा व्यंग्य म्यारा जीवन अनुभौ से भैर छटगदन। गढवलि व्यंग्यकारु तैं पढणौ भंडि मौका नि लगि ! न बनिबनि का गडवलि व्यंग्यकार मिलदन पढणौ।
■भीष्म कुकरेती : आपका लेखन मा भौतिक वातावरण याने लिखनो टेबल, खुर्सी, पेन, इकुलास, आदि को कथगा महत्व च ?
®घंजीर : मोबाइल लेखन मा यूंकी खास जरोरत नि रैगे। तिमलै डालि की फौंकि मा बैठिक बि लेखन ह्वे जाणु च् अचकाल अगर क्वि शुद्व विचार पैदा ह्वे जौ तब।
■भीष्म कुकरेती: आप पेन से लिख्दान या पेन्सिल से या कम्पुटर मा ? कन टाइप का कागज़ आप तैं सूट करदन मतबल कनु कागज आप तैं कविता
लिखण मा माफिक आन्दन?
®घंजीर : मुबैल मा लेखन भौत असान ह्वेगे किलैकि लेख संशोधन शब्द शुद्वि वगैरा की भौत सुबिधा रैंद येमा।
■भीष्म कुकरेती: जब आप अपण डेस्क या टेबले से दूर रौंदा अर क्वी विषय दिमाग मा ऐ जाओ त क्या आप क्वी नॉट बुक दगड मा रखदां ?
®घंजीर : मुबैल आलभेज अबेलेबल इन कीसा।
■भीष्म कुकरेती: माना की कैबरी आप का दिमाग मा क्वी खास विचार ऐ जवान अर वै बगत आप उन विचारूं तैं लेखी नि सकद्वां त आप पर क्या बितदी ? अर फिर क्या करदा ?
®घंजीर : गद्य ल्यखारू खुणि य क्वि बड़ि समस्या नी छ् । विषय यादगार होण चैंदु भस्स।
■भीष्म कुकरेती: आप अपण व्यंग्य तैं कथगा दें रिवाइज करदां ?
®घंजीर : तबतलक जबतलक अपणु लिख्यूं अफि तैं पढण मा आनंद नि द्यावा।
■भीष्म कुकरेती: क्या कबि आपन व्यंग्य वर्कशॉप क बारा मा बि स्वाच? नई छिंवाळ तैं गढवाळी कविता गढ़णो को प्रासिक्ष्ण बारा मा क्या हूण चएंद /
आपन कविता गढ़णो बान क्वी औपचारिक (formal ) प्रशिक्षण ल़े च ?
®घंजीर : औपचारिक प्रशिक्षण त् नि लेई पर भीष्म कुकरेती जी का लेखन पैड़ि पैड़ि की छंद बणाणु सीखि।
■भीष्म कुकरेती: हिंदी साहित्यिक आलोचना से आपक व्यंग्यों पर क्या प्रभौ च . क्वी उदहारण ?
®घंजीर : हिंदी का गुणि व्यंग्यकार शरद जोशी जी भौत प्रभावित करदन। उंकी मझादार शैलि की छाप मेरा लिख्यां मा अफि उतरि जांद।
■भीष्म कुकरेती: आप का व्यंग्य जीवन मा रचनात्मक सूखो बि आई होलो त वै रचनात्मक सूखा तैं ख़तम करणों आपन क्या कौर ?
®घंजीर : कुछ समै तक लेखन मा विराम डालि देंदु।
■भीष्म कुकरेती: व्यंग्य घड़याण मा, गंठयाण मा , रिवाइज करण मा इकुलास की जरुरत आप तैं कथगा हूंद ?
®घंजीर : दरसल हर रचानात्मक काम यकुलांस मंगद ।
■भीष्म कुकरेती: इकुलास मा जाण या इकुलासी मनोगति से आपक पारिवारिक जीवन या सामाजिक जीवन पर क्या फ़रक पोडद ? इकुलासी मनोगति से आपक काम (कार्यालय ) पर कथगा फ़रक पोडद।
®घंजीर : रचनाकारू फर त फरक भंडि नि पड़दु पर वेका जनै हौरि लोगु नजरिया बदलि जांदु ।
■भीष्म कुकरेती: जब कबि आप सीण वाळ हवेल्या या सियाँ रैल्या अर चट चटाक से क्वी व्यंग्य लैन/विषय आदि मन मा ऐ जाओ त क्या करदवां ?
®घंजीर : सिरोण माथ कलम कागज सदनि तैयार धरीं रांद !
■भीष्म कुकरेती: आप को को शब्दकोश अपण दगड रख्दां ?
®घंजीर : शब्दकोष की जरोरत भीष्म जी जना कदावर लेख्वारु तैं पढदि दौं भंडि मैसूस होंद।
■भीष्म कुकरेती- हिंदी आलोचना तैं क्या बराबर बांचणा रौंदवां ?
®घंजीर : जरोरत नी छ् ।
■भीष्म कुकरेती: गढवाळी समालोचना से बि आपको व्यंग्य पर फ़रक पोडद ?
®घंजीर : फरक प्वडणु लाजिमि च् । यांसे यनु पता चलदु कि आपौ लेखन कतना गंभीरता से लिऐ जाणु च् ।
■भीष्म कुकरेती : भारत मा गैर हिंदी भाषाओं वर्तमान व्यंग्य की जानकारी बान आप क्या करदवां ? या, आप यां से बेफिक्र रौंदवां !
®घंजीर : सोशल मीडिया मा कुछ अच्छी साहित्यिक साइट से कुछ कुछ संकेत मिलणा रंदन ।
■भीष्म कुकरेती : अंग्रेजी मा वर्तमान काव्य की जानकारी बान क्या करदवां आप?
®घंजीर : अंगरेजी भाषा लेखन मी जना घर गुदड़्या लेख्वारु खुणि खाश फैदामंद नी छ् ।
■भीष्म कुकरेती: भैर देसूं गैर अंगरेजी क वर्तमान साहित्य की जानकारी क बान क्या करदवां ?
®घंजीर : यु सवाल रीटि रीटि कि फेरि पुछे ग्या यखम।
■भीष्म कुकरेती : आप हिंदी, अंग्रेजी, या हौरी भाषाओं की क्व क्वा कविता कथा तैं गढवाली मा अनुवाद करण चैल्या ?
®घंजीर : दुन्या मा जख जख पहाड़ छन या पहाड़ि गौं छन मि चांदु वखा रचनाकारु क्वि पोथि ह्वा पहाड़ि जीवन फर त् वैकु अनुवाद जरूल पढण चांदु ।
■भीष्म कुकरेती: आपन बचपन मा को को वाद्य यंत्र बजैन ?
®घंजीर : मिन ढोल दमौ बजैनि जब हमरा सल्लि ढोली उंतैं तपाणों धरदा छाया आगि फर ।
प्राणम आपै विद्वत व्यक्तित्व एबम कलम जनै…
भीष्म कुकरेती : आपन व्यंग्य लिखणो कब स्वाच कि आपखुण य विधा ही सही च ?
®घंजीर : मेरू मनणु च् कि मेरा लेखनै शुरात यन सोचिक नि ह्वे कि मिन व्यंग्य लिखण । मीथै त् पढण वलोंन बथै कि आपौ व्यंग्य भौत बढिया/ घटिया लगिनि । तब मीथै भान ह्वे कि जनमेसिक मि लेखणु छौं वु व्यंग्य की श्रेणि मा आंद।
■भीष्म कुकरेती : सबसे पेलो व्यंग्य को च आपौ?
®घंजीर : सबसे पैलु व्यंग्य शैद मेरू “गढवलि सेल्समैन” छौ।
■भीष्म कुकरेती : अब तक कथगा व्यंग्य सोशल मीडिया समेत प्रकाशित ह्वे गेनि आपा?
®घंजीर : लगभग पांच सात सौ… तकरीबन सौ का करीब उतरजन टुडे मा अर द्वी तीन चिठ्ठी पत्री मा अर कुछ किताबु की प्रस्तावना वगैरा बि ।
■भीष्म कुकरेती : आपक व्यंग्यों का पांच मुख्य विषय क्य छन ?
®घंजीर : राजनीति बि, समाजिक गेड़ गांठ बि , तथाकथित लेख्वारू का रद्दी लेखन फर बि , भ्रष्टाचार बि त् आधुनिक लाईफ इस्टाइल बि।
■भीष्म कुकरेती : यदि आप अध्यापक ह्वेक छात्रों तै व्यंग्य लेखणौं पढ़ैल्या त् क्या समझैल्या?
®घंजीर : ई कि व्यंग्य मल्लब ब्यबस्था फर चोट नाकि व्यक्ति विशेष फर !
■भीष्म कुकरेती :आप अपरा व्यंग्यों मा गाल्यों कु प्रयोग भी करदा? यदि हां त् कु कु ..उदाहरण सैत !
®घंजीर : करदु छौं पर हजम होण लैक य सर्वमान्य पर ई विषयबस्तु व किरदार से सबद्व हुंदिन जनकि उल्लोपठ्ठा कमेणा कुक्करा निरभगि दलेदर निरबै छोरा वगैरा वगैरा।घिणौंण्या अश्लील गालि लेखणै मि जरोरत नि समझदु उन बि मंटो हूणु सबू बसै बात नीन्।
■भीष्म कुकरेती : व्यंग्य लिखण मा नकारात्मक विषयों तरफां ध्यान जांदु तब आप लेखन जीवन मा कनु सामंजस्य करदां? मीन भौत वर्ष बाद मैसूस कारि कि व्यंग्य लिखण से मि अफि नेगेटिव ह्वे गयूं।
®घंजीर : तब मि लेखनै वीं लैन फर चलि जांदु जख हल्कु हंसि मजाक य हल्का विषै हुंदन जनकि लभ इस्टोरी या बेसिरपैरै कब्यता गजल गीत लिखणै कोशिश करदु । यन प्रयास कन मा मीतै ऐसास होंदु कि अन्य लेखन जोनर मा काम करणु कतगा कठिण काम च् ।