Harela : The Food Tourism Based Festival
भोजन पर्यटन विकास -9
Food /Culinary Tourism Development 9
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना – 395
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -395
आलेख – विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
हरेला त्यौहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का एक प्रमुख त्यौहार है। हरेला श्रवण के प्रथम दिवस व अश्विन मॉस में भी मनाया जाता है। हरेला मनाने में ऋतु व कृषि से समृद्धि सिद्धांत का पूरा मिश्रण है। हरेला त्यौहार में शिव पार्वती विवाह मिश्रण ने हरेला को धार्मिक त्यौहार में परिवर्तित भी कर दिया है।
हरेला त्यौहार में भोजन पर्यटन के सूत्र समावेश हैं। हरेला के दिन स्वाळ पक्वड़ , मिष्ठान पकाये जाते हैं व पुत्री , बहिनों , फुफुओ /बुआओं को स्वाळ पक्वड़ व पैसा भेंट दी जाती है। मुख्य त्यौहार से दस दिन पहले हरेला या हरियाली बोई जाती है।
पुत्री , बहिन , व फूफू /बुआ के घर मायके से स्वाळ -पक्वड़ , आशीर्वाद रूप हरियाली ससुराल भेजी जाती है अथवा पुत्री , बुआ , फुफु को व उनके बच्चों को मायका बुलाया जाता है व् त्योहार भोजन, स्वाळ -पक्वड़ खिलाने के साथ पिठाई लगाई जाती है।
हरेला दिन पेड़ लगाने की भी प्रथा है।
हरेला वास्तव में भोजन पर्यटन का एक उम्दा उदाहरण भी है.
पर्यटन अर्थात – किसी विशेष उद्देश्य से अपने क्षेत्र /घर गाँव छोड़कर यात्रा करना होता है जब कि भोजन पर्यटन में भोजन उद्देश्य होता है।