चूहादानी (ननि नाटिका)
(ननि ननि नाटिका श्रृंखला)
नौटंकी – भीष्म कुकरेती
पात्र –
सूत्रधार
किसान
किसानै घरवळि
मूसू
कुखुड़
बुगठ्या
खाडू
बागी (भैंसा )
–
सूत्रधार – एक किसान अर वैकि घरवळि भौत दिनों बिटेन एक मूस से व्याकुल छा . मूस जु बि खाणै चीज ह्वावो खै जांद छा अर भौत सि वस्तुओं तै काटि दींदु छौ। एक दिन खटला म फाणु -बाड़ी पड़ गे तो मूस न खटला क न्यार इ कुतर दे। झुल्ला कुतरणों क तो क्या बुन तब।
एक दिन किसाण मूस से अति व्याकुल ह्वेका चूहादानी लै गे कि मूस पकड़ी जंगळ छुड़े जाय।
किसाण घरवळि – आज इथगा देर से कख छा ? रात भोज क समय ह्वे गे।
किसाण – पुळेणो बात च कि मि पल्लि गाँव बिटेन भाना ल्वार से चूहेदानी बणैक ल्है औं। एक पाठ क्वाद म सस्तो इ समजो।
किसाणै घरवळि – फंड जाण द्यावो एक पाथ क्वाद। ये मूस न तो कथि पाथ अनाज बुकै ाल होलु।
किसाण – अच्छा अब सि रात ह्वे गे मि चूहेदानी पुटुक घी लगीं रोटी लगाणु छौ। रात मूस आलो अर चूहेदानी पुटुक क भोजन देखि भितर आलो अर अपर मुंड या खूट अटकाई देलो।
घरवळि – भलो भलो ! थोडा चतुरता से धरिन हां।
किसाण – हां ! हां ! अर सही स्थान म बि धरण आवश्यक च जखम मूस क आण जाण लगातार हो ।
सूत्रधार – मूस यी सौब दिखणु -सुणनु छौ। चूहेदानी देखि मूस तैं अपण असमय मिर्त्यू दिख्यायि। मूस अति भयातुर ह्वे गे। मूस भगद भगद कुखुड़ म गे।
मूस (कुखुड़ से ) – कुखुड़ दा ! कुखुड़ दा ! अति भी की सूचना च।
कुखुड़ – स्वामी तो स्वस्थ छन ना ?
मूस – हां वो तो स्वस्थ छन किंतु सि चूहेदानी लै गेन अर आज घी भरीं रोटी लगैक धरण वळ छन।
कुखुड़ (तिरस्कार व अनादर म ) – औ चूहेदानी ? छि छि . मेरी क्या समस्या ? जा से जा।
मूस (स्वतः ) – यु कुखुड़ तो तिरस्कार करणु च। अब बुगठ्या म जांदू। स्यु अवश्य कुछ समाधान बताल।
मूस (बुगठ्या से ) – बुगठ्या काका ! बुगठ्या काका ! किसाण चूहेदानी ल्है गे। ये से बड़ो भय की बात क्या ह्वे सकद ?
बुगठ्या (निचिंता म ) – क्या क्या ? क्या च भय की छ्वीं ?
मूस – किसाण चूहेदानी ल्है गे अर चूहड़ानी पुटुक घी भरीं रुटि बि अटकै याल तैन।
बुगठ्या (तिरिस्कार व अनादर भाव म) – चल चल अपर मुसदुंळ पुटुक बैठ जा या ये घौर छोड़ि चल जा। चूहेदानी आयी इन तो प्रत्येक द्वी मीणा म सरसू मारणो दवै बि घर म आदि।
मूस (निरसैक, स्वतः ) – ठीक च। मि ढिबर बाडा म जान्दो।
मूस ( खाडू ) – हे खाडू बाडा ! हे ढिबर बाडा !
खाडू – ऐ हैं ह ! क्या ह्वाइ ? कखि बरजात पड़ गे क्या जु तू इथगा चिंतातुर छे ह्युं ?
मूस – चिंता की इ त घटना ह्वे गे।
ढिबर – क्या ? गाँव म बाघन छनि क पत्थर निकाळी छनि पुटुक जाण शुरू कौर आल क्या ?
मूस – अरे बाडा ! यां से बि भयानक घटना।
खाडू (फड़ेक ) -क्या ?
मूस -किसाण चूहेदानी लेक आयी गे अर चूहेदानी पर वैन घुसीं रूटि अडगै क धृ याल।
खाडू (तिरस्कृत भाव म ) – फंड फुके ! त्यार आण से मीन समज की किसान क इख बाग़ आयी गे। पर चूहेदानी ! . ऊलजलूल समाचार लाणु छे। जा अपर घर जा।
मूस (निरसेक स्वतः ) – क्वी मेरी बातों पर ध्यान इ नी दीणु च। क्या करे जाय ? आज रात टुप्प दूर ढैपुर कूण्या म बैठ जान्दो। उछल कूद सब बंद आज।
सूत्रधार – रात, किसाण क घरवळि भैर झाड़ा ( लघुशंका ) वास्ता अंध्यर म चल तो चूहेदानी म फं स्युं सांप न काट दे। सांप क पुच चूहेदानी म जि फंस्यु छौ। किसाण अपर घरवळि तैं चिकित्सालय ली गे तखि तैन अपरबामण बि भट्याइ अर उठण धार कि जब वैकि घरवळि बिलकुल स्वस्थ ह्वे जाली तो नरसिंह क मन्दिर म खाडू मरुल । एक सप्ताह म किसाण क घरवळि स्वस्थ ह्वे गे तो डाक्टर न सलाह दे –
डाक्टर – उन त तुमर घरवळि स्वस्थ ह्वे गे किन्तु शाररिक हीनता भौत च। तो शक्ति वर्धन हेतु मुर्गा रस्सा खलाओ। मि एक सप्ताह उपरान्त तुमर घर औलू
सूत्रधार – किसाणन घर जैक मुर्गा मार अर अपर घरवळि तै मुर्गा खलाई। एक सप्ताह उपरान्त डाक्टर घर पर आयी।
डाक्टर – तुमर घरवळि अब पूर्णतया स्वस्थ च किन्तु अबि बि शाररिक हीनता छैं इ च। इन कारो बुगठ्या क डौण उसेक रस्सा कहलाओ कुछ दिन।
सूत्रधार – अब किसाणन बुग्ठ्या मार। एक सप्ताह उपरान्त पुन: डाक्टर आई अर वैन ब्वाल कि वैकी घरवळि पूर्ण रूप से स्वस्थ ह्वे गे। अर नरसिंग की मनौती पूर करणो किसाण न नरसिंग मन्दिर म खाडू बलि चढाई।
सूत्रधार – हम तै नि बिसरण चएंद कि आपदा म सप्र समाज म सब क सहायता करण चएंद पता नि कब हम पर बि भीत ऐ जाओ !