(ननि -ननि नाटिका श्रृंखला, Short Skits )
–
नौटंकी – भीष्म कुकरेती
–
पात्र –
सूत्रधार
गौड़ी
शेर
गौड़ी क बछरु
बुगठ्या
ब्याला
–
सूत्रधार – एक गाँव क न्याड़ बड़ो बौण छौ जख बनि बनी वनस्पति छे। गांव बिटेन गौर बछर सुबेर चरणो बौण आंदा छ अर पुटुक भोरी संध्या म बौड़ी गाँव ऐ जांदा छा। गौचर का अळग एक उड़्यार छौ जख शेर रौंद थौ।
एक दिन गोर गौचर गेन अर एक गौड़ी हौर घास चरदी चरदी इखुलि इखुल्या मथि शेर क उड्यार क समिण पौंछि गे , शेर तैं गंध मील अर भूखो शेर उड़्यार बिटेन भैर ऐ गे।
शेर (स्वतः संवाद ) – ब्वा ! ब्वा ! भगवान की माया से स्वयं इ मेरो भोजन मीम आइ गे। सात दिन बिटेन मि भूखो छौं। गौड़ी बड़ी शक्तिशाली व मांस वळि च। एक सप्ताह वास्ता भोजन च मेकुण। आज गौड़ी शिकार करदो।
शेर (दहाड़िक ) – ब्वा ब्वा १ भगवत कृपा से मेरो शिकार मीम आयी गे। आज मि त्वे मारि सात दिनों क क्षुधा शांत करलु।
गौड़ी (डौरिक) – ये मेरि ब्वे हौर घासक लोभ म मीन इन नि देखि कि म्यार दगड़्या पैथर छुट गेन अर मि लोभ म शेरौ उड़्यार तक ऐ ग्यों। यांकुणि बुल्दन मौत क मुख म अफि जाण।
शेर – आण ऊण घळण बंद कौर अब तो त्वे क्वी नि बचै सकुद।
गौड़ी -हे शेर ! हम सब प्राणियों म एक महा कर्तव्य हूंद।
शेर – क्या मि तै बत्थों म भकलाणौ पर्यटन नि कौर मि बुक छौं अर हम प्राणियों सबसे प्रथम कर्तव्य हूंद भूक मिठाण।
गौड़ी – हां। इखम द्वी राय नि छन कि प्रत्येक प्राणीक भूक मिठाण प्रथम कर्तव्य हूंद। किन्तु एक हैंको कर्तव्य बि हूंद जो आवश्यक च।
शेर – क्या ?
गौड़ी –अपणी आण वळ साखी पर अति ध्यान।
शेर – हां पर इखम यीं बात क क्या औचित्य ? मि तै भरमा ना। मीन आज तेरो शिकार करण इ च।
गौड़ी – क्या च म्यार एक दूदिक बछर च छनि म वैन अबि घास खाण नि सीख।
शेर -तो ?
गौड़ी (रूंदि अर प्रार्थना करदी ) -त मि तैं ड्यार जाण दे अर अंतिम बार मि अपर बछुर तैं दूध पिलैकि , भौत प्यार कौरिक सुबेर सुबेर ऐ जौलु . मि अपर मातृ कर्तव्य निभाण दे।
शेर (हौंसिक )- परिहास की सीमा हूंद। समिण आयुं शिकार कु छुड़द ? केवल मूर्ख इ आयुं भोजन पर ठोकर मारदो।
गौड़ी – मि पृथ्वी म सबसे मृदु व अपर शब्दों पर टिकण वळ , बचन बद्ध , विश्वासी पशु मने जांद। यदि मि बचन दीणो छौं तो मि निभौल निथर मि फुले जौं। कृपा कौरो मि तैं मातृ कर्तव्य निभाणो अवसर द्यावो।
शेर – हूं ! उन तो शिकार छुड़ण कर्तव्य बिमुख हूण इ च पर तू बुलणी छे , बचन दीणि छे तो एक अवसर दीणू छौं। जा अर अपर बछुर तैं दूध पिलैक सुबेर सुबेर ऐ जै। निथर मि त्यार ड्यार एक बच्चूर समेत त्यार सब सगा संबंधियों तै खाणो ऐ जौलु।
गौड़ी – धन्यवाद। मि सुबेर बौड़ी आणो बचनबद्ध छौं।
शेर – उत्तम १ उत्तम ! जा जा
सूत्रधार – गौड़ी घर जांदी रात भर अपर बछुर तैं दूध पिलाणी राई अर प्यार करणी राई। सुबेर ब्याला व बुगठयान देखि कि गौड़ी क आँखों से आंसू बगणा छन जो कि पशुओं म कबि नि बगदन।
ब्याला – ये गौड़ी ! त्यार आंख्युंसे मनिख जन आंसू ?
बुगठ्या – हां ! यु खौंळेण वळ बात च।
भैंसी – हाँ अनोखा व्यवहार च आज तेरो।
सूत्रधार – गौड़ी न सब तैं शेर व वींको मध्य बचन की बात बताई।
ब्याला – छोड़। नि जाण। जीवन बचाणो झूठ बुलण बि आवश्यक हूंद।
भैसी – हां हम पशु छंवां क्वी देवता थुका छां जु अपर बचनों पर टिक्यां रौला। अरे अपर जीवन बचाणो बान प्रत्येक रणनिति सही हूंद। नि जाण अब बौड़ी जंगळ।
बुगठ्या – एक बार शत्रु से छुट गे तो पुनः शत्रु पास जाण मूर्खता इ ना प्राणघाती कार्य मने जांद नि जाण पुनः शेर म। कदापि नि जाण
सूत्रधार – प्रत्येक न गौड़ी तैं समझायी कि प्राणी तै अपर जीवन बचाणो झूठ बुलण इ चयेंद।
गौड़ी – न ना ! जु मि आज अपर बचनों तै पूर नि करलो तो भविष्य म क्वी पशु , पंछी अर मनिख गाय जाति पर विश्वास नि कारल और सदा कुण गे अर्थात झूठी मने जाल। मि जाणो छौं। सब तै मेरी सेवा अर म्यार बछुरो ध्यान धरिन।
सूत्रधार – गौड़ी जब बौण शेर म जाणि छे तो छनिम बड़ो हृदय विदारक दृश्य छौ। सब रुणा छा। बिछोह का डर से करुण रस पैदा हूणु छौ। गौड़ी शेर क उड़्यार म समय पर पौंछदि।
गौड़ी (शेर क उड़्यार भैर ) -हे शेर ! मि अपर बचन अनुसार ऐ ग्यों। अब तुम म्यार शिकार कौर सकदा।
शेर (भगवान विष्णु रूप म भैर आंद – हे गौड़ी ! मि शेर नि छौं अपितु विष्णु छौं। मि तेरी परीक्षा लीणो छौ।
गौड़ी – हैं ? तुम भगवान छा ?
विष्णु – हां। और तुम बचन बढ़ म देव तुल्य छा। आज से तुम तै गौड़ी ना गौ माता करि पूजे जाल। जा अपर बच्चा म जा।
सूत्रधार – अर तब से गौड़ी तैं गौमाता बुले जांद अर पूजे जांद।