वीर दुर्योधन मंदिर, उत्तरकाशी
उत्तरकाशी मंदिर (लंगत्यरि) श्रंखला-९
आलेख-लोकप्रिय लेखिका अनिता नैथानी ढौंडियाल
उत्तराखंड देब भूमि मनै जांद,यख जगा जगा भौत मंदिर छन। हिन्दू धर्म मा ३३करोड़ देबता बुलै ग्यनी पर उत्तराखंड म इ यां से भि जादा ह्वे जंदन, किलै कि यख भूमि देबता बटी ग्वेल देबता, ग्राम देबता अर कुल देबता भि मनै जंदन। य व जगा च जख माभारतक बीर पुरुष दुर्योधन अर कर्ण भि पुजे जंदन। दुर्योधन कु मंदिर उत्तरकाशी क सौर गौं म च। सारनौल अर सौर गौं कि य जगा भुब्रूवाहन नौ कि जगा च।
उत्तराखंड क उत्तरकाशी जिला मा दुर्योधन कु मंदिर त छैं ही च, कर्ण कु मंदिर भि च। नेटवार बटी १२किलोमीटर दूर हर की दून सड़क म सौर गौं मा दुर्योधन कु मंदिर च। कर्ण कु मंदिर नेटवार बटी करीब डेड मील दूर सारनौल गौं मा च
यूं गौं कि या जगा भुब्रूवाहन नौ क भौत बड़ा योद्धा कि धरती च। इन मनै जांद कि भुब्रूवाहन पाताल लोक कु राजा छौ अर उ कौरवों अर पांडौं कि कुरुक्षेत्र कि लड़ै मा शामिल होंण चांदु छौ।इन सोचिक उ धरती मा त ऐगी पर भगवान श्रीकृष्ण न वेतैंं लड़ै मा शामिल नि करी किलैकि या लड़ै न्याय अन्याय कि लड़ै छै।
भुब्रूवाहन लड़ै त नि लौड़ सकी पर जब भि माभारतै लड़ै मा कौरवों कि चाल गलत ह्वे जांद छै त उ जोर जोर से रोण लग जांद छौ इन वीं तरफा लोग ब्वलदन।इन भि ब्वलै गी कि भुब्रूवाहन क आंसूं नी तमस अर टोंस नौ कि नदी बण्णी अर उ आज भि रोंद।उ कर्ण अर दुर्योधन कु प्रशंसक छौ जै वजै से इ द्वी मंदिर यख बणवये ग्यनी। ये मंदिर म दुर्योधन कि पूजा पाठ आरती हवन हमेसा होंणा रंदन।मंदिरौ परसाद मंदिर म हि खाण प्वड़दू।
आचार व्यवहार व संस्कृति विद्वान मनोज ईष्टवाल ब्वलदन कि मंदिर म सोना कि परत वली एक कुलड़ी भि च जु इ कौरव राजकुमरै कि मनै जांद।इन रिवाज च कि गौं वला आज भि स्थान देबता कि पूजा म दुर्योधन कि वीं सोने कुलड़ी न पारंपरिक अनुष्ठान,नाच वगैरा करदन।जांकि वजै बतये गी कि दुर्योधन भला हि कुछ भि छौ, उ आज भि यखौ कु क्षेत्रपाल च।