(ननि -ननि नाटिका श्रृंखला, Short Skits )
–
नौटंकी – भीष्म कुकरेती
–
सूत्रधार
बगुला
गिगुड़
माछ
कछुवा
अन्य जलचर पशु जनकि कछुआ
–
बगुला (स्वतः ) – हूं आज कुछ ना कुछ तो करण पोड़ल कि बिन परिश्रम का भोजन मिल जाओ। क्या कौरूं ? क्या कौरुं ? बिन परिश्रम भौत दैं भुकी रौण पड़द मै। कुछ सुचण पोड़ल।
बगुला (उछळिक ) वाह ! वह क्या सफल योजना अयि म्यार मस्तिष्क म ! मि महान छौं। महान बगुला छौं। अब कई वर्षों तक मि बिन परिश्रम का मछे खै सकुद छौं। महान बगुला ! अब मि तैं एक टांग पर खड़ ह्वेका एक ताल क छाल पर बड़ो स्वांग करण पोड़ल।
सूत्रधार – अर योजना तै कार्यावनित करणो बगुला नदी छल पर आयी। एक टंगुड पर खड़ा ह्वे गे , गौळ उंद माळा पैरिक बगुला स्यळ -स्यळ आंसू बगाण लग गे।
बगुला (आंसू बगांद बगांद ) – हे प्रभु हे प्रभु
ताल क एक कछुवा – हे बगुला दादा इथगा किलै रूणी छे ?
बगुला – हे जलचरो ! हे थलचरो ! मि शोक म सन्यासी बण ग्यों , मि अपण भूतकालौ पाप अर्थात पशु हत्त्या क पाप निवारण वास्ता अब पशु हित म कार्य करलु। केवल हित और हित।
कछुआ – अर्थात ?
बगुला – अर्थात अब मि शाकाहारी ह्वे ग्यों अर जु मि तैं म्यार गुरु त्रिकाल दर्शी बाबा क बुल्यां वचन सौब तैं समजौल अर पशु हित म कार्य करल बस । जय हो त्रिकालदर्शी ! तुम बि ब्वालो।
कछुआ – जय हो त्रिकालदर्शी बाबा की
बगुला (पैल से हौर शक्ति से रूण लग गे )- हे प्रभु बचाओ ! यूं पशुओं तैं बचाओ !
कछुआ – क्या होइ ?
अन्य जलचर व माछ – क्या ह्वावि तुम बचाओ बचाओ किलै बुलणा छा ?
बगुला (बड़ो दुःख दिखैक अर बिंडी आंसू गाडि ) -हे प्रभु यूं निरीह प्राणियों तैं बचाओ !
सब – ह्यां पर ह्वै क्या च ?
बगुला (हृदयविदारक ध्वनि म ) – ब्याळि त्रिकालदर्शी गुरु श्री न पतड़ा देखि बोल बल ! हे मेरी ब्वे ! हे मेरी ब्वे ! कनै बतौं या भयंकर बात ? क्या इ निरीह प्राणी सहन कर ल्याल ?
सब – बता बता ! हम सब सहन कर ल्योला।
बगुला (दुखी ध्वनि म) – त्रिकालदर्शी न भविष्य देख बल ये क्षेत्र म १२ वर्ष तक भयंकर सूखा पड़न वळ च। तालाब , गदन , छोया सुकण वळ छन। अर सबसे विदारक बात या च बल यु तालब दस पांच दिन म सूख जालो। ये तालाब म भौत बड़ी समस्या आण वळ च। सब सूक जालो यु ताल। हम सब मोर जौंला। सब मोर जाल।
कछुवा – यांक समाधान क्या होलु ?
बगुला – जख समस्या हूंद तखि समाधान बि हूंद। मीन पशु हित क कार्य करण शुरू कौर याल तो मी इ पशुओं सायता करलु।
कछुवा – तुम हमर क्या सायता करला ?
गिगुड़ – हम तैं बताओ तुम कन हमर सायता करिल्या ?
बगुला – पहाड़ी पिछवाड़ी एक हैंक अमर ताल च। मि एक एक जलचर अर्थात माछ तैं अपर पीठ म उठैक तै ताल म लि जौल अर इन म ये ताल क प्राणी बच जाला।
कछुवा – पर ! किन्तु !
बगुला – हे प्रभु ! हे प्रभु ! सब का हित साधो ! हे प्रभु सबका हित साधो ! मै तैं इथगा शक्ति दे कि मि सबक हित साध ल्यूं।
गिगुड़ व कछुवा – उचित उचित।
सब – उचित उचित ! तुम एक एक कोरी प्रतिदिन एक मछली या जलचर तैं ली जा अर दुसर ताल म छोड़ द्यावो।
सूत्रधार – अर तै दिन बिटेन बगुला प्रतिदिन एक एक मछली लेक पहाड़ी पिछवाडी जिना लिजाव अर तख एक बड़ी पटाळ म मारिक खायी जाओ। कै तै बगुला क सन्यासी जन व्यवहार व बोल से पता इ नि चौल कि बगुला क्या धूर्तता करणु च। तैं पटाळ म माछों हडकों ढेर लग गे। हडकों ढेर देखि एक दिन –
बगुला (हडकों ढेर देखि ) – हाहा हा ! मूर्खों क हूंद में सरीखा धूर्त तैं जीवन यापन की समस्या ? मूर्ख मेरी बात म बिन सोच का आयी गेन। मूर्ख !
सूत्रधार – कुछ दिनों उपरान्त। एक दिन एक गिगुड़ तैं उचमिच लग कि बगुला वे तै किलै नि लीग।
गिगुड़ -बगुला भगत श्री ! बगुला भगत श्री !
बगुला – हां बोल शिष्य गिगुड़ ! त्वे क्या संकट च ?
गिगुड़ – कुछ ना। सब तैं त तुम लिजाणा छा। म्यार अवसर कब आलो ?
बगुला – उचित च उचित च। तू आज इ म्यार कंदा म बैठ अर मि त्वे बि तै ताल म लिजांदु। बैठ।
सूत्रधार – गिगुड़ शीघ्रतया बगुला क कांद म बैठ गे अर बगुला गिगुड़ तैं बिठाइक उड़ व वीं पटाळ क निकट आयी। जनि बगुला पटाळ क निकट आयी तनि गिगुड़ै दृष्टि हडकों ढेर पर पोड़।
गिगुड़ – भगत श्री यी हडकों ढेर क्या च ?कैका छन ी हडका ?
बगुला – यी ऊं मूर्ख माछों क व जलचरों हडका छन जु बिन सोचि बिन समजि म्यार झूठ म अळ्जि गेन। मीन तौं सब तैं खायी देन।
गिगुड़ -क्या ? तो तीन इ सब ?
बगुला – हां। अब तेरी हडकी बि ये ढेर म दिखयालि।
सूत्रधार – गिगुड़ डरण लग गे किन्तु तभी वैकि जीवन चेतना जाग अर वैन अपर पंजों से बगुला क गौळ दबायी अर बगुला तैं मार दे। जब गिगुड़ अपर ताल म आयी तो –
गिगुड़ – मि तैं बड़ो दुःख च कि हम सब बगुला क धूर्त रणनीति म अळ्ज गेवां अर हमर दसियों साथ्युं न जीवन नष्ट कराई दे। किन्तु मि पापी बगुला तैं मारिक ऐ ग्यों।
सब जलचर – जय हो गिगुड़ श्री की !
गिगुड़ – सौं घटो हम तै कै पर बिन सुच्यां बिंग्यां कैक भकलौण म नि आण
. सब – हम सब सौं घटदा कि बिन सुच्यां बिंग्यां कैक भकलौण म नि औला।