(ननि -ननि नाटिका श्रृंखला, Short Skits )
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नौटंकी – भीष्म कुकरेती
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पात्र –
सूत्रधार
स्याळ
कुत्ता
कुछ पशु , पक्षी
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सूत्रधार – एक समय की छ्वीं छन। एक दिन एक स्याळ छक छक भोजन क शोध म गांव म ऐ गे । तख गांवक कुत्तों न भुकण शुरू क्या कर कि स्याळ जगता सगती म एक रंगसाज क रंग हौद म पोड़ गे। हौद म नीलो रंग छौ अर स्याळ नीलो ह्वे गे। अब स्याळ रंग्युं स्याळ ह्वे गे छौ। रंग्युं स्याळ जब बौणम आयी त पश्य पंछी नयो पशु संजी डर गेन। यिन परिस्थिति से लाभ उठैक स्याळ न बोल।
स्याळ – पशु -पंछी ! सुणो सुणो ! मि तैं भगवान न तुम लोकुं पर शासन हेतु इख भेज। अब मि तुमर राजा छौं।
पशु पंछी – स्वीकाए स्वीकार।
स्याळ – हे शेर अब तू बि मेरो शाषित छे।
शेर – स्वीकार
स्याळ – चीता मि त्यार राजा छौं
चीता – स्वीकार स्वीकार।
स्याळ (एक उच्च स्थान म बैठ गे ) – चूँकि अब सब्युं न मई अपर नया राजा स्वीकार कर याल तो मि न्याय बि करलु। लाओ आज न्याय क वास्ता क्या क्या विषय छन ?
कबूतर – महाराज मि जनि अंडा दींदो तनि कवा म्यार अंडा खै जांद।
रंग्युं स्याळ – तो कवा न क्या खाण ? तू अपर अंडा दीणो आवृति बढ़ै दी।
स्याळ – शेर तीन मेरो निर्णय पर प्रसन्नता प्रदर्शन नि कार ?
शेर – ब्वा जी ब्वा ! कथगा न्यायोचित न्याय कार तुमन।
सब पशु – ब्वा जी ब्वा ! कथगा न्यायोचित न्याय कार तुमन।
सूत्रधार – अर इन म रंग्युं स्याळ पशु पन्छयुं नया राजा ह्वे गे अर न्याय बि करण लग गे। तिसर दिन की छ्वीं छन संध्या से कुछ पैल क समय छौ। स्याळ चाटुकार सभसदों क मध्य न्याय करणु छौ।
गुर्रा – महाराज इ मिंडक शीत ऋतू म भूमि अंदर चल जान्दन अर हम तै भोजन शोध म समस्य हूंद।
स्याळ – आज से क्वी बि मिंडक शीत ऋतू म भूमि भितर नि जालो।
मिंडक – पर माराज …
स्याळ – ना अर्थात ना। न्याय अर्थात न्याय ! अब तुम शीत ऋतू म भूमि भितर नि जै सकदा।
सब पशु पंछी – ब्वा क्या न्योचित न्याय च।
सूत्रधार – इथगाम कुछ दूर स्याळुं एक डार जोर जोर से क्वां ह्वां की सम्मलित ध्वनि करण लग गे। अर स्वभाव बस रंग्युं स्याळ अपर जातीय ध्वनि म ह्वां या ह्वां करण लग गे।
शेर – अरे यु तो स्याळ च स्याळ !
लकड़बग्गा – अरे हाँ यु तो स्याळ च।
चीता – मारो साला तैं हम तैं मूर्ख बणानु छौ स्यु। मारो
सूत्रधार – अर शेर न स्याळ मार दिनी।