हथ खुट चलल त जीवित रैलि
हथ खुट नि चलल मृत्यु आलि
बाल कथा – भीष्म कुकरेती
एक बड़ो जिमदार मौक चार भैंस छा अर तौंक बड़ो कठबड़ छौ अर कठबड़ पुटुक बड़ा बड़ा दै (दही ) भर्यां डखुळ धर्यां रौंद छा।
एक दिन की छ्वीं छन। मूसाक द्वी बच्चा खिल्दा खिल्दा कठबड़ पुटुक चल गेन। तख जिज्ञासा बस दुयुंन दै (दही ) भर्यूँ डखुळ पुटुक कुद्दी मार दे। भैर त नि ऐ सकिन किन्तु द्वी तैरण लग गेन। एक न कुछ देर बाद हार मान, डर गे अर हथ खुट चलाण बंद कर दे अर दही पुटुक तौळ चल गे अर तखि मोर गे। हैंको जिकुड़ी क बड़ो बलवान छौ। तैन तैरण बंद नि कार अर हथ खुट चलाणो इ राइ। तैक हथ खुट चलणन दही छुळेंद गे , छुळेंद गे अर एक समौ इन आई कि छांछ तौळ अर नौणी अळग ऐ गे। दहि लतलती छे किन्तु नौणी सुडौल छे तो मुस्क बच्चा नौणी म बैठ अर कुछ देर उपरान्त तै धैर्यशाली , निडर वीर बच्चा डखुळ से कुदिक भैर ऐ गे।
निडर थोड़ा सि अवरोध म डर जान्दो जबकि वीर रस्ता खोजिक पार लग जांद।