275 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
वैदिन वैन सरपंच जी कुण फोन कार तो सरपंच जी न बोलि कि मि आज ओफिस की बात नि कौर सकुद , मि जमुना बौक शव जमुना बौक शव यात्रा म यात्रा म जाणु छौं। द्वारीखाल ब्लॉक म ब्लॉक चपड़ासी बि बुलणु मि जमुना बौक शव यात्रा म जाणु छौं। जैन बि सूण कि जमुना बौ क देहावसान ह्वे गे वो चाहे कोटद्वार म हो , देहरादून म हो , चकरौता म हो या गाँव क निकट हो सब जमुना बौकी अंत्येष्टि म ऋषिकेश पौंछिन। एक हैंक क गांव बिटेन बि बिठलड़ जमुना बौ तैं दिखणो जमुना बौक गाँव पौन्छिन। जमुना बौ क्वी नेता नि छे ना ही पटवारी तहसीलदार पर छे प्यारी जमुना बौ।
जमुना बौ क ब्यौ बड़ो गाजो बाजों दगड़ ह्वे छौ। लुंगड़ी दा खूब खांदो पींदो घर को नॉन। तीन भैंसी , द्वी गौड़ी अर जण चारेक बखर सद्यनी दूध दिँदेर रुं रौंद छा अर प्रतिदिन शिल्पकार घर म कुछ ना कुछ कार्य कुण चौक म रौंदा छा। जु बि आयी वैकुण कुछ ना कुछ कार्य निकळ ही जांद छौ। बड़ो जिम्दारो। लुंगड़ी दा सबसे कणसो भै। शेष तीन भै बड़। प्रतिवर्ष गर्भवती ब्वारी से एक कुठड़ी म रौंद ही छे।
जमुना बौ बि छुट घर क नौनी नि छे बड़ो जिमदार घौरक छे। तो ससुराल म मान सम्मान मिल। दिखेण दर्शन म बि बिगरैली ही छे अर शरीर से भी शक्तिशाली तो गांव वळों न बि मान सम्मान दे।
जमुना बौ क ब्यौ हुयां छै वर्ष ह्वे गए छा किन्तु मूस बि नि जनम। अब प्रति मैना वैद्य आण लगिन तो दुसर तिसर मैना मांत्रिक -ताँत्रकोँ क भीड़ बि। दस बार पंडीजी से टिपड़ा बि दिखाए गे। धीरे धीरे सरा परिवार जमुना बौक उपेक्षा करण लग गे। गांव वळ बुलण लग गेन बैल भैंसी तैं बि क्वी मुख लगांदो। बांज धरती म बि कुछ हूंद।
जमुना बौ बि समज गे कि बच्चा हूण वींक भाग म नी। इन म धीरे धीरे जमुना बौ हंसोड़ बौ बण गे। ब्वे नि बणनो निराशा तैं जमुना बौन हास परिहास म परिवर्तन कर दे . जब बि जमुना बौ गोर म जा तो ग्वेर छवारा अर छोरी वींक न्याड़ -ध्वार रौंदा छा। कु नि चांदो रंगत अर हौंस। ब्यौ काजों म बि अब जमुना बौकी मांग बढ़ गे पर हल्दी हाथ म ना अपितु हंसणो हेतु।
सातों वर्ष लुंगड़ी दा कुण दुसर पत्नी लये गे। जमुना बौ तैं छनि क निकट वळ भ्यूंतळ द्वी कुठड़ी दिए गेन अर द्वी चार पुंगड़ कि वा अपर जीवन यापन कार साको ना अपितु सौत क मध्य झगड़ा नि हो। जमुना बौ हंसोड़ तो राय किंतु सौत से डाह क कारण कुछ कुछ गळदिवा बि ह्वे गे किन्तु अधिकतर गाळी लुंगड़ी दा अर सौत क बांठ ही रौंद छा। इना अब लुंगड़ी दा क भै बि बिगळे गेन। जमुना बौ क कर्तव्यों म दूर दूर का पुंगड़ अर लखड़ रै गेन।
द्वी वर्ष म सौत क बेटा पैदा ह्वे तो जमुना बौ क गाळी बखान म बढ़ोतरी ह्वे पर गाँव वळ कम ही गाळी खांद छ। हँसोड़पण कम नि ह्वे छौ जमुना बौक।
चौथ वरह सौत क इख बेटी ह्वे अर जमुना बौ पता नि किलै गुरु गंभीर ह्वे गे। जमुना बौक गाळी अर हंसोड़ी छ्वीं सब लापता ह्वे गेन। जमुना बौ गीतों मैना की रानी हूंदी छे गीत लगाणों चौक म। ये वर्ष वा गीत लगाणों बि नि ऐ। संभवतया ईर्ष्या भाव से अब जमुना बौ गंभीर ह्वे या क्या ह्वे धौं। कबि वा ब्यौ काज क सामजिक सामूहिक कार्यों म बड़ी लग्न से भाग लींद छे तो अब उदास सि ह्वेक बरनाम को भाग लींदी छे।
लुंगड़ी दा अर लुंगड़ी दाकि ब्वेकी क प्रसन्नता क सीमा नि छे पैल बेटा अर अब बेटी। नातणी मुख देखि लुंगड़ी दा की ब्वे लुंगड़ी दाक बूबा जेएम वै लोक चल गे। लुंगड़ी दा अर नै घरवळि कुण बच्चों तै पकड़नो थोड़ा समस्या ह्वे पर समय कट ही जांद। किन्तु लुंगड़ी दाक भाग म प्रसन्नता बिंडी दिनों कुण नि छे सैत। बेटी नौ मैना की रै ह्वेलि कि लुंगड़ी दा की दुसर घरवळि भि सोरग चल गे। लुंगड़ी दा कुण भयंकर सोग अर समस्या। तो गाँव वळ मध्य ऐन अर अब जुमना बौ तै वापस लुंगड़ी दा क पुरण घौर लाये गे। जुमना बौन इन स्थिति क कल्पना बि नि कौर छे ना ही इन गाळी सौत या लुंगड़ी दा तैं दे छे। जमुना बौ कुण यु नयो संसार बड़ो विलखणी छौ। पति दगड़ नयो हिसाब से सामंजस्य तो सरल छौ किंतु मांकी भूमिका निभाण बिलखणी अर कुछ अटपटी छे।
बच्चों क पालन पोषण क उत्तरदायित्व अब जमुना बौकी छे। अब तक तो जमुना बौन घर से भैराक उत्तरदायित्व घास लखड़ ही , गुड़ाई निराई आदि इ संबाळ छौ अब द्वी वर्षीय बीटा अर नौ मैना की बेटी क पालन पोषण अर वी बि अपर ना सौतक। चिढ़ बि ह्वे पर जब बेटी जमुना क दूधी खुज्यांद छे दूधी पीणो हथ लिजान्द छे , दूधी पर जोर जोर से हथ मारदी छे , दूधयूं पर मुख लगांद छे तो पता नी जुमना बौ पर क्या क्या लहर चल जांद छा झुरझुरी। आनंद की परिकाष्ठा छे जमुना बौकुण बेटी क दूधी पर हथ अर मुख मारण। दूध तो नि छौ पर जमुना बौ दुधलोन तै बेटी तैं चुसाण लग गे अर देखा देखि बीटा बि बिन दूध का दुधल चुसण लग गे। तीन चार दिन म जमुना बौ परिपूर्ण मां बण गे। अब वा बौ समज गे कि बच्चों तै केवल भोजन,-पाणी , ढिक्याण इ नि चयेंद अपितु मनिखाक तपम बि आवश्यक च अर अधिक आवश्यक च।
एक मैना म जमुना बौ बिसर गे कि यी सौत क बच्चा छन अब तो इ बच्चा इन छन जन वींक ल्वे का ही अंग होवन। समय बितद समय नि लगद। नॉन आठ म चल गे छौ अर बेटी छे छै कक्षा मा कि लुंगड़ी दा लुढ़क गे।
कुछ दिन तो जमुना बौ झटका सहण लैक नि राइ। फिर चिंता ह्वे बच्चों की अर भैंस क घी अर अनाज बेचिक बच्चों तै पढ़ान लग गे। स्कूल निकट छे तो कार्य चलदो गे। नौन तैं ब्यौ म मिल्यां चन्दिक धगुल बेचीं , द्वी चार पुंगड़ बेचीं , मैत से उधार पगाळ कोरी नौनी अर नाउन दुयुं तैं बीटीसी कराई तो कुछ जमुना क जिकुड़ी म सेळी पोड़ की जीवन सफल ह्वे गे। सरा क्षेत्र म जमुना बौ प्रसिद्ध ह्वे गे कि सौत हो तो जमुना हो।
द्वी नौकरी पर लग गे छा। सुख क दिन ऐना। नौनी अर नौन क ब्यौ कराई। ब्वारी बि मास्टर्याण ही ख्वाज। नौन -ब्वारी दूर स्कूल म रौंदा छा। जमुना बौ इकुलास कटणो आदि (आदत ) ह्वे गे छे। बेटिक अर बेटा क बच्चा बि ह्वेन तो जमुना बौ तैं प्रसन्नता हूण आवश्यक छौ। नौन क ब्वारी क स्वील हूण पर जमुना बौ तीन चार मैना तक लौड़ -ब्वारी दगड़ी ही रौंद छे।
एक दिन जमुना बौ लुंगड़ी दा म चल गे। जमुना बौ क गति करणों क्षेत्र से इथगा लोग ऐन कि इथगा तो नेता क मरण पर नि आंदन। एक सहृदय , त्यागी सौत्या ब्वे छे जमुना बौ। क्षेत्र से प्रत्येक सम्मान दीण चाणु छौ जमुना बौ तैं।
(एक सत्य कहानी पर आधारित )