इनि हमर गांव जसपुर मा द्वी इन कूंड छा जौंक खड्ड उबर छा। अब ये कूड़ो जीर्णोद्धार ना अपितु पूरी तरां से नवीनीकरण ह्वे तो खड्ड उबर लोककथाओं मा बि नि रयां छन। हमर गांवक प्राचीन उपगांव छन ग्वील, सौड़ , छतिंड अर बाँड्यो जु अब अलग गांव छन अर ग्वील पधानुं गांव बि छौ। सौड़म द्वी भव्य नक्कासीदार तिबारी बि छन। कुछ साल पैल , मि अपण नौनु , भतीजों तैं लेक सौड़ यूं ऐतिहासिक कूड़ दिखाणो लीगु। उख जैक पता चौल कि एक तिबारी तो ध्वस्त हूणी वाळ च। फिर मीन सबसे बुडड़ी तैं पूछ तो पता चौल कि यी द्वी कूड़ 1890 का करीब या वांसे पैल चिणे गे छा। गवीलम बि भव्य नक्कासीदार तिबारी च याने ‘क्वाठा -भितर’ च जु पधानुं कुटम्ब का बड़ा भवन छौ। फिर कुछ मैना बाद ग्वील का एक चाचा से पता चौल कि ग्वीलक क्वाठा -भितर’ की काष्ठ नक्कासी का वास्ता श्रीनगर से काष्ठकलाकार बुलाये गे छा। किन्तु मि तै ग्वीलक क्वाठा -भितर’ निर्माण काल की जानकारी नी च तो अंदाज नि लगाए जै सक्यांद कि ग्वील कु क्वाठा -भितर’ पैल बौण या सौड़ की तिबारियां। फिर यदि श्रीनगर से काष्ठकलाकर बुलए गे छा तो क्या यूं कलाकारों तैं छतिंड म बसये गे छौ जन प्रश्न को समाधान खुजये जाण चयेंद। यदि पधानुं या पटवार्युं खसरा दिखे जावो तो सैत च पता चल जावो कि छतिंड का काष्ठ शिल्पकार श्रीनगर का छा या स्थानीय शिल्पकार छा।
म्यार बुलणो मतबल च यदि कै बि गांवक अबि खोज खबर नि लिए जावो तो भोळ गांवुं पुरण इतिहास खुज्याण असम्भव ह्वे जालो।
अर आज कुछ माध्यम बच्यां छन जांसे गांवक कुछ इतिहास तो खुजे इ जै सक्यांद अर वै इतिहास तैं लिपिबद्ध बि करे सक्यांद। ये काम तैं साहित्यकार अर संवेदनशील शिक्षित लोग अच्छी तरां से कर सकदन। साहित्यकारों , शिक्षित लोगुं यू कर्तव्य च।
ग्राम इतिहास शोध का कुछ मुख्य बात
ग्राम इतिहास लिखणो , संग्रह करणो वास्ता तौळक कुछ बिंदुऊं की सूचना आवश्यक च।
1- सबसे पैल गांवक भूगोल की जानकारी अत्त्यावश्यक च। भूगोल की जानकारी से कथ्या चीज स्पष्ट हूंदन ।
2- सबसे पुरण भौगोलिक स्थिति का पता लगावा। कब यू पहाड़ /गदन बण -लैंड स्लाइड से। क्या लैंडस्लाइड से गांव / मंदिर आदि विस्थापित ह्वेन ? उड़्यार, उड्यारी ।
3- सबसे पुरण डाळ , बनस्पति , अर अन्य बातें जन कि बड़ो पत्थर उठाणो कथा आदि
4- कल कारखाने — अणसाळ , कुलुड़ , माटक भांड बणाणो जगा अर चाक , मंदर बणाणो यंत्र , कंमुळ बणानो यंत्र
5- खान /खांडी -जैसे मटखांडी , छज्जा खांडी , पठळ खांडी , जंदर खांडी आदि आदि
6- मंदिर अर पूजा स्थल – यूंक इतिहास यदि पता हो तो ठीक निथर लोककथा अवश्य होली।
7- समय काल का हिसाब से मकानों की स्थिति
8- पानी स्रोत्र – कथा आदि खुज्यावो। कथगा स्रोत्र बंद ह्वेन अर कथगा स्रोत्र नया ऐन से बि इतिहास बणद
9-अभिलेख – भौत सा मंदिर या मगर मा शैल भित्तिचित्र बि मिल्दन।
10- जातीय इतिहास – कु परिवार कख बिटेन आई अर कब आयी , किलै आई , कैं परिस्थिति मा आई। विशेष शिल्पकारुं -ल्वार , टमटा , सुनार आदियुं इतिहास तो गांवक इतिहास का कथ्या इ पन्ना खुल्दन ।
11- गांव का सभी स्थानों का नाम – खस कालीन /कनैती /कैंतुरा कालीन नाम , वैदिक संस्कृत नाम , पाली /मघदी नाम ,संस्कृत नाम , तद्भवी संस्कृत नाम , (जाखणी खाळ, जैखाळ ) ब्रज भाषाई नाम , उर्दू नाम , अंग्रेजी आम आदि आदि। यूं नामुं गांवक इतिहास भूगोल से संबंध। क्या यूं नामूं मा भौगोलिक क्रमबद्धता च। जन मीन चिताई कि आजक म्यार गांव जसपुर (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) मा निकटवर्ती नाम अधिकतर जाती सूचक (conman noun ) छन जन कूलापाख , सारी , चमड़ी सारी , जमुना कंऴद , कांड ,उड्यारी , रुळो भ्याळ , चौड़ी , डंगुल्ड , ट्वाल , मठ , लवड़ , ज्ञाना , छाना /छीना , मठ आदि आदि पर दूर नाम डड्वा, भटिंड, माड़ी धार , गुडगुड्यारी धार आदि आदि। यदयपि अधिक क्रमगत साम्यता नी च पर कुछ क्रमगत क्रम तो छैं इ च।
12- देवी दिबतौं नाम से बिगड्या /अपभ्रंश नाम – जन कुजै खोळी, खड़ दिबता असल मा खौड़ कत्यार से पूजित दिवता को नाम च।
13 – प्रत्येक भवन कु इतिहास – कैन चीण ? कब चिणे गे ? जमीन अपणी छी या कैमांगन मोल ले या संट्वर मा ले ? छत का पठळ – पत्थर , छज्जा का पठळ कखन ऐन अर सामूहिक तौर पर कनै यी पत्थर ऐना। लागत का वास्ता संसाधन कनै जुटाए गे ? काष्ठ कलाकार कु छा , ओड कु छा जन सवालुं जबाब ढूंढण कठण नि हूंद। इनि हरेक मौ या मुंडीतौ उर्ख्यळऔ एक विशिष्ट इतिहास हूंद।
14- बौण – प्रत्येक बौणक भौगोलिक व मिल्कियत कु विशिष्ट इतिहास हूंद। यदि समय लगाए जावो तो खुजे जांद।
15- सँजैत भांडों इतिहास क्या च ?
16- गांव का आभूषण निर्माण कु इंतजाम क्या छौ पर शोध हूण चयेंद।
17- ढोलवादन का बादकों इतिहास से बि गांवक इतिहास जुड्युं रौंद। इनि बाद्यूं इतिहास ग्राम इतिहास से जुड्युं रौंद
18- दर्जियों इतिहास एक ग्राम इतिहासौ वास्ता महत्वपूर्ण अंग हूंद
19- मंदिर कैन निर्माण कार
20 पुरण घट कैन निर्माण कौर या दान मा दे जन सवालुं जबाब खुजे जाण चयेंद।
21- गांव पर विशेष विपदाओं कु ब्यौरा- सत्य साक्ष्य , कथा , कथ्य , जनश्रुति आदि से द्वारा
22- विशेष व्यक्तियों संबंधी सत्य साक्ष्य , कथा , कथ्य , जनश्रुति आदि
24- जातीय तनाव , लड़ै , आदि की घटनाओं ब्यौरा से इतिहास खुज्याण
25- जातीय इतिहास
26- आंदोलन भागीदारी
27- धर्मशाला , पाणी पौ आदि का इतिहास
28- रस्ता कनै निर्मित ह्वेन ?
29- एकी जाती का लोगुं मुंडीत कै हिसाब से बिगळेन ? भौत बार द्वी मुंडीत एक ह्वेना। किलै ?
30 – अन्य आस पास का गांवुं इतिहास की जानकारी। द्वी गांवुंक कै विशेष बात पर झगड़ा या मित्रता
31- थोकदार /पधानचरी , मुख्त्यार अर प्रधानगिरी गिरी कु इतिहास
3 2- पट्टी मा पटवारी मुख्यालय कु इतिहास
33- कर्मकांड , तांत्रिक -मांत्रिकों , जागर्युं , डऴयों /औलियों इतिहास
34- पांडुलिपियों की खोज अर ऊंका बारा मा जानकारी जग तैं दीण
35 – प्रथम सरकारी नौकरी कैन कार ?
36 प्रथम पुरुष जु ब्रिटिश सेना मा भर्ती ह्वे
37 – प्रथम पुरुष जु प्रवासी ह्वे
34 -प्रथम पुरुष जु विदेश गे
35 शिक्षितों इतिहास आदि आदि
36- कुछ बरजनाएं – जन कि कड़ती ग्राम (ढांगू ) मा सिलस्वाल जातिका लोग मांश नि खांदन आदि की सूचना कट्ठा करण। या जसपुर -ग्वील -खेड़ा आदि का कुकरेती बग्वाळ की जगा गोधन मनांदन।
37 -आस पास का पुरण खौळ -म्याळो इतिहास
38- विभिन्न सरकारी रिकॉर्डुं जन पटवारी , पधान , थोकदारुं , जिला मुख्यालयों से जानकारी
इनि भौत सि बात छन जौंक सूचनाओं से ग्राम इतिहास लिखें जांद।
शुरू शुरू मा सूचना कट्ठा करे जाण चयेंद अर फिर कर्मगत ज्ञान से इतिहास लिखें सक्यांद। यदि सूचना कठ्ठा ह्वे गे तो कै इतिहासकार की मदद लिए सक्यांद।
Perfection से दूर ही रौण चयेंद। जु सूचना हाथ लगद वीं सूचना को आदान प्रदान करण ही ठीक च।
कुछ सूचनाओं तै पैल पैल फोटोकॉपी कौरिक सूचना गांवक संवेदनशील लोगुं मा बंटण चयेंद अर विचारूं आदान प्रदान हूण चयेंद।
आजकल तो इंटरनेट मा गांवक ब्लॉग बणै सूचना कट्ठा करण सौंग ह्वे गे
डा चौहान द्वारा रिखणी खाळ का इतिहास एक उदाहरण च जांसे हम साहित्यकार सीख सकदां कि अपण गांवक इतिहास कन लिखण।
यीं बात से सबि सहमत ह्वाल कि प्रत्येक गांवक इतिहास रिकॉर्ड हूण चयेंद। तो साहित्यकार अर शिक्षितों कु कर्तव्य च बल सभी पढ्यां -लिख्याँ लोग अपण गांवक इतिहास ल्याखन।