( ब्रिटिश युग में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म- )
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -80
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
ब्रिटिश युग में क्रिश्चियन मिशनरियों व ब्रिटिश सरकार द्वारा चिकित्सा जागरण से उत्तराखंड की जनता में चिकित्सा साधनों की और ध्यान गया।
क्रिश्चियन मिशिनरियों ने कुमाऊं व गढ़वाल में कई चिकित्सालय खोले। उत्तराखंडी मिशनरियों के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।
बाबा कमली वाले
यात्रा मार्ग पर बाबा कमली वाले संस्थान का चिकित्सा योगदान अविस्मरणीय है। धर्मशालों के अतिरिक्त बाबा कमली वाले क्षेत्र आयुर्वेदिक औषधि भी यात्रियों को बांटते थे। ब्रिटिश काल में बाबा कमली वाले के आयुर्वेदिक औषधि निरान शाला ऋषिकेश व स्वर्गाश्रम में थे।
शिवानंद आश्रम
शिवानंद आश्रम , शिवानंद नगर टिहरी की स्थापना चिकित्स्क शिवानंद ने 1936 में की थ। शिवानंद आश्रम का आयुर्वेद औषधि निरानशाला के अतिरिक्त एक धर्मार्थ चिकत्सालय भी था। शिवानंद आश्रम के खुलने से देस विदेशों में उत्तराखंड की छवि वर्धन हुआ। योग को अंतर्राष्ट्रीय छवि प्रदान करने में शिवानंद आश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है। शिवानंद आश्रम चिकित्सालय ने गढ़वाल की विशिष्ठ सेवा की और यह योगदान अतुलनीय है। शिवानंद आश्रम में कई आयुर्वेदिक औषधि निर्माण भी होता आया है।
रामकृष्ण परमहंस फॉउंडेशन चिकित्सालय
1888 -1889 के लगभग स्वामी विवेकानंद ऋषिकेश यात्रा पर आये थे। यहां उन्होंने चिकत्सा की कमी अनुभव किया और शिष्यों को परमार्थ चिकित्सालय खोलने की सलाह दी। रामकृष्ण सेवाश्रम कनखल की स्थापना सन 1901 में हुयी और तब से रामकृष्ण ट्रस्ट चिकित्सा क्षेत्र में सतत योगदान देता आ रहा है। प्रतिवर्ष लाखों लोग चिकित्सा लाभ उठाते हैं।
गुरुकुल कांगड़ी संस्थान
आर्य समाज का उत्तराखंड में योगदान शिक्षा ही नहीं अपितु सामाजिक उत्थान में भी भूमिका महत्वपूर्ण है. आर्य समाज ने कई स्कूल गाँवों में खोले थे और कुछ चिकित्सालय भी खोले थे। स्वामी श्रद्धानन्द का अकाल समय पीड़ितों की सेवा अविस्मरणीय है। स्वामी श्रद्धानन्द ने हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना 1922 में की और तभी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज की भी स्थापना हुयी। गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज भारत का प्राचीन आयुर्वेद महाविद्यालयों में से एक महाविद्यालय है। गुरुकुल कांगड़ी संस्थान ने जनता को चिकत्सा प्रदान तो की ही उत्तराखंडियों को चिकित्स्क बनने का अवसर भी प्रदान किया। आज भी यहां आयुर्वेद संबंधी कई अन्वेषण होते रहते हैं। उत्तराखंड के औषधि वनस्पतियों का रसायनिक अन्वेषण भी गुरुकुल कांगड़ी महविद्यालय ने किये।
गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी में आयुर्वेदिक औषधि निर्माण भी होता है।
शिवा नंद आश्रम व गुरुकुल कांगड़ी ने कभी भी व्यवसायिक विपणन पर
उपरोक्त संस्थाओं ने पर्यटकों को चिकित्सा सुविधा तो दी ही साथ साथ में मेडिकल पर्यटन को भी संबल दिया।
हरिद्वार -ऋषिकेश में कई आश्रमों व अखाड़ों ने भी चिकित्सा क्षेत्र में अपना योगदान दिया व देते आ रहे हैं।