Defining Food Tourism
भोजन केंद्रित या स्वाद पर्यटन विकास -3
Food /Culinary Tourism Development 3-
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना – 389
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -389
आलेख – विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
भोजन केंद्रित पर्यटन या फ़ूड टूरिज्म शब्द नया शब्द ही है और अभी भी टूरिज्म विपणन या टूरिज्म में भ्रूणावस्था में ही कहा जाएगा। चूँकि टूरिज्म में बगैर भोजन -पेय -चबेना के टूरिज्म की कल्पना की ही नहीं जा सकती अतः केवल भोजन हेतु पर्यटन नेपथ्य में चला जाता है। यद्यपि 1931 में इटली में गाइडा गैस्ट्रोनॉमिका द इटालिया पुस्तक छपी थी जो वास्तव में अपने किस्म की प्रथम पुस्तक थी जिसमे फ़ूड टूरिज्म का गाइड प्रकाशित हुआ था। अब भी पत्र पत्रिकाओं में भोजन कहाँ मिलेगा आदि पर पोस्ट प्रकाशित होती हैं किन्तु मार्केटिंग वालों ने फ़ूड टूरिज्म या केवल भोजन हेतु पर्यटन , या भोजन केंद्रित पर्यटन पर विपणीय दृष्टि से कम ही खोजें की हैं और जो खोजें हुईं हैं उनका एकमुश्त प्रकाशन कम ही हुआ है। इसीलिए विद्वान् फ़ूड टूरिज्म को बाल्य अवस्था की स्थिति में मानते हैं।
फ़ूड टूरिज्म में पर्यटन का एकमात्र ध्येय फ़ूड या स्वाद होता है बाकी कारक गौण होते हैं। जबकि अन्य पर्यटन में भोजन पर्यटन का केवल एक भाग होता है हाँ महत्वपूर्ण कारक होता है।
किसी स्थान के फ़ूड या टेस्ट या स्वाद को ध्यान म ेरख कर जब पर्यटन हो तो उस ेभोजन केंद्रित पर्यटन या फ़ूड टूरिज्म कहा जाता है।
फ़ूड टूरिज्म में टूरिस्ट पर्यटक स्थान की पहचान या संभावनाएं टटोलने का कार्य भोजन को केंद्र में रखता है या स्थान का भाव भोजन से पाता है, ना की अन्य कारकों से । भोजन यात्रा में पर्यटक हेतु स्थल में प्राप्त सभी प्रकार के भोज्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं या कोई विशेष भोज्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।
यात्रा का मुख्य ध्येय भोजन होता है ना की अन्य दृश्यात्मक कारक या मनोरंजन। भोजन व पेय पदार्थ दोनों भोजन केंद्रित पर्यटन के अंग होते हैं। आजकल शहरों से गाँव की ओर भोजन हेतु पर्यटन नहीं होता अपितु ग्रामीण भी विशेष भोजन व पेय हेतु भ्रमण पर निकलते हैं इसीलिए आजकल हाइवेज या स्टेटवेज में ढाबे खुब्ब चल रहे हैं क्योंकि कई निकट वा दूर के गाँवों से ढाबों में भोजन व सुरा पीने आते हैं।
बड़े शहरों में फ़ूड टूर या स्वाद दर्शन , भोजन टूर
मेट्रो शहरों में अब एक नया रिवाज आ गया है जिसे फ़ूड टूर नाम दिया गया है जैसे मुंबई में कोंकणी फ़ूड टूर या लंदन में भारतीय भोजन टूर या न्यू यॉर्क में चीनी , इटालियन या क्यूबन भोजन टूर।
कुकिंग क्लासेज भी फ़ूड टूरिज्म का एक अहम हिस्सा है जिसमे बाहर से पर्यटक हिस्सा लेते हैं जैसे विदेशियों को गढ़वाली भोजन की ट्रेनिंग देना आदि आदि
फ़ूड फेस्टिवल्स से भी भोजन केंद्रित पर्यटन पैदा होता है। सूरत से अहमदाबाद हाइवे में जब बाजरे -जवारी की ऊमी जगह जगह पर मिलते है तो बहुत से लोग कार से सूरत से बड़ोदा या बड़ोदा से सूरत भ्रमण पर निकल पड़ते हैं और जगह जगह पर बाजरे ज्वार की ऊमी का स्वाद चखते हैं. ये भ्रमणकारी केवल ज्वार बाजरे के पोक (ऊमी) हेतु ही भ्रमण पर निकलते हैं इसे ही भोजन केंद्रित पर्यटन कहते हैं महाराष्ट्र में भी बाजरा या जवार की ऊमी भोजन केंद्रित पर्यटन कारक है। कई व्यवसायी कई प्रकार के ऊमी भोज्य पदार्थ बनवाते हैं और दूसरे शहरों से अपने रिश्तेदारों , व्यापारी , राजनैतिक मित्रों को न्योता देते हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में वीडिओकोन के मालिक यह कार्यक्रम हर साल रखते थे ।
गढ़वाल में मैंने फ़ूड टूरिज्म का दूसरा रूप देखा है। धरती की ऊंचाई व जल उपलब्धि के कारण गढ़वाल में अगा व् पछा मकई उगाई जातीं थीं तो रिस्तेदार केवल मकई हेतु पछा वाले अगा मकई वाले गाँव में आते थे व बाद में अगा वाले पछा मकई के गाँव आते थे। यह भी भोजन केंद्रित पर्यटन का उदाहरण है।